Positive India:Rajesh Jain Rahi:
सावन में इंद्रदेव, जाने कहाँ सो गए थे,
दिवाली की भीड़-भाड़, देखने को आए हैं।
झूमके बरसते हैं, और कभी रिमझिम,
छूट देख बाजारों में, जरा चकराए हैं।
मायानगरी है खास, मेनका सी लगे इन्हें,
हरियाणा पे विशेष, नजरें गड़ाए हैं।
ठाठ देख बाबाओं के, ठिठक गये हैं जरा,
नेताओं के ठसन पे, ठहाके लगाये हैं।
लेखक:राजेश जैन राही, रायपुर