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केन्द्र सरकार का एक राष्ट्र-एक बाजार अध्यादेश किसानों के लिए अहितकारी : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री ने गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले को दी 332 करोड़ रूपए के विकास कार्यों की सौगात

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पॉजिटिव इंडिया;रायपुर,19 सितम्बर 2020

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि केन्द्र सरकार का एक राष्ट्र-एक बाजार अध्यादेश किसानों के हित में नहीं है। इससे मंडी का ढांचा खत्म होगा, जो किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए लाभप्रद नहीं है। अधिकांश कृषक लघु सीमांत है, इससे किसानों का शोषण बढ़ेगा। उनमें इतनी क्षमता नहीं कि राज्य के बाहर जाकर उपज बेच सके। किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम में किए गए संशोधन से आवश्यक वस्तुओं के भंडारण एवं मूल्य वृद्धि के विरूद्ध कार्यवाही करने मे कठिनाई होगी। कान्ट्रैक्ेट फार्मिग से निजी कंपनियों को फायदा होगा। सहकारिता में निजी क्षेत्र के प्रवेश से बहुराष्ट्रीय कंपनिया, बड़े उद्योगपति सहकारी संस्थाओं पर कब्जा कर लेंगे और किसानों का शोषण होगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय से वीड़ियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले को 332.64 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात देने के बाद कार्यक्रम को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत ने की। कार्यक्रम में सभी मंत्रीगण, लोकसभा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत एवं अन्य जनप्रतिनिधि कार्यक्रम में वीड़ियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आम जनता के हितों का संरक्षण एवं उनकी खुशहाली हमारी सरकार की प्राथमिकता है। यह प्रेरणा हमें विरासत में मिली है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी की नीतियों और आदर्शों का अनुसरण करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों, मजदूरों, किसानों और आदिवासियों के बेहतरी के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना आपदा काल में छत्तीसगढ़ सरकार ने लोगों को अपने जनहितैषी कार्यक्रमों एवं योजनाओं के जरिए 70 हजार करोड़ रूपए की सीधे मदद दी हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज देश और दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है। बहुत से देशों की राष्ट्रीय सरकारों ने किसानों, गरीबों और आपदा पीड़ितों के प्रति सहानुभूति का रवैया रखते हुए बीमारी के नियंत्रण में अच्छी सफलता हासिल की है। लेकिन हमारे देश ने जिस तरह से सर्जिकल स्ट्राइक के तरीके से नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन किया गया, उससे लगातार हालत खराब होती गई और सबका मिला-जुला असर कोरोना काल में राष्ट्रीय आपदा के रूप में सामने आया है। यदि केन्द्र सरकार रचनात्मक और सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखती तो देश को आज जैसे दिन नहीं देखने पड़ते। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना काल में जो रचनात्मक नजरिया रखा उसके कारण हम किसानों, मजदूरों, गरीबों, ग्रामीणों, वन आश्रितों को 70 हजार करोड़ रू. की आर्थिक मदद कर पाए। उन्होंने कहा कि मुझे दुख होता है कि इस संकट काल में भी हमारे उन पुरखों के योगदान को भुलाने की कोशिश की जाती है, जिन्होंने देश को अपनी सही सोच और सही नेतृत्व से स्वावलंबी बनाया था।

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