संस्कारवान पीढ़ी तैयार करने में गायत्री परिवार का योगदान सराहनीय: सुश्री उइके
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा आयोजित दिव्य गर्भाेत्सव कार्यशाला में शामिल हुईं राज्यपाल
पॉजिटिव इंडिया:रायपुर, 03 अगस्त 2021
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज गायत्री तीर्थ, शांतिकुंज, हरिद्वार द्वारा आयोजित दिव्य गर्भाेत्सव नौ दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में वर्चुअल रूप से शामिल हुईं। इस अवसर पर सुश्री उइके ने आयोजकों को ऐसी कार्यशाला आयोजित करने पर हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज के समय में इस तरह के संस्कार देने की अत्यंत आवश्यकता है, जिससे भावी पीढ़ी संस्कारवान बन सके। सुश्री उइके ने कहा कि भारतीय परिवार अपने जीवन में मुख्यतः सोलह संस्कार मनाते हैं, जिसमें गर्भोत्सव संस्कार भी महत्वपूर्ण होता है। माता के गर्भ में पलने वाले शिशु पर, उस दौरान माता द्वारा किए गए कार्यकलापों का प्रभाव पड़ता है। महाभारत की कहानी भी हम सबको मालूम है कि किस तरह अभिमन्यु कोे गर्भ में ही उनकी माता से चक्रव्यूह में प्रवेश करने का ज्ञान प्राप्त हुआ था। भारत वासियों को इसका ज्ञान पहले से ही था कि गर्भ में पलने वाले शिशु पर माता एवं आसपास के वातावरण का प्रभाव पड़ता है जो कि बाद में विज्ञान के द्वारा भी सिद्ध हुआ।
सुश्री उइके ने कहा कि एक सभ्य, शालीन, सज्जन एवं राष्ट्रीय निष्ठ पीढ़ी को तैयार करने के लिए गायत्री तीर्थ, शांतिकुंज द्वारा ‘‘आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी’’ कार्यक्रम के अंतर्गत गर्भाेत्सव संस्कार द्वारा देश ही नहीं विदेशों में भी अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या जी एवं श्रीमती शैलबाला पंड्या जी के मार्ग दर्शन में चलाया गया है जो कि आज की समस्त समस्याओं के समाधान का एक मात्र उपाय है। उन्होंने कहा कि माता गायत्री मेरी भी ईष्ट हैं और उनके आशीर्वाद ने मुझे यहां तक पहुंचाया है।
राज्यपाल ने कहा कि आज युवाओं में गिरते मानवीय एवं नैतिक मूल्यों के कारण उनका चिंतन, चरित्र, व्यवहार, समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। शांतिकुंज के भावी पीढ़ी के नव निर्माण के इस प्रशिक्षण में गर्भवती माताओं का ही नहीं, उनके परिवार के सभी सदस्यों को गर्भ का ज्ञान-विज्ञान एवं उसका महत्व, गर्भावस्था में योगासान, प्राणायाम, ध्यान, दैनिक आदर्श दिनचर्या, स्वस्थ एवं पौष्टिक आहार एवं गर्भ में पल रहे बच्चे से संवाद आदि पर प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे आने वाली संतान शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं नैतिक रूप से स्वस्थ होगी।
इसके महत्व को देखते हुए विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालयों तथा मेडिकल कॉलेज द्वारा इस विषय पर सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्सेज भी प्रारंभ कर दिए गए हैं, जिससे अधिक से अधिक युवा भाई बहनें जो राष्ट्र के भावी कर्णधार हैं, लाभ ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में भी इस प्रकार के पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जाने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए जायेंगे।
इस अवसर पर गायत्री तीर्थ, शांतिकुंज, हरिद्वार की ओर से श्री ओ.पी. शर्मा, डॉ. गायत्री शर्मा, श्री दिलीप पाणिग्रही, श्री लच्छूराम निषाद, गायत्री परिवार के सदस्य तथा महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।