www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

संसद ने किया केंद्रीय शैक्षणिक संस्था में शिक्षकों के आरक्षण संबंधी विधेयक को मंजूर

Ad 1

Positive India:नयी दिल्ली,

Gatiman Ad Inside News Ad

(भाषा) संसद ने बुधवार को केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षक के कॉडर में आरक्षण) विधेयक 2019 को पारित कर दिया । विधेयक में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं और शिक्षकों के काडर में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों की सीधी भर्ती द्वारा नियुक्तियों में पदों के आरक्षण का प्रावधान है ।
राज्यसभा में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक से यह बात प्रमाणित हो गई कि नरेंद्र मोदी सरकार को कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति की चिंता है। उन्होंने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों की रक्षा की पूरी तरह से पक्षधर है।
निशंक के जवाब के बाद उच्च सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। साथ ही इस विधेयक के विभिन्न प्रस्तावों और इससे संबंधित अध्यादेश को निरस्त करने संबंधी विपक्ष के विभिन्न सदस्यों द्वारा लाये गये प्रस्तावों एवं संशोधनों को सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को सोमवार को ही पारित कर चुकी थी।
इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए निशंक ने उन परिस्थितियों का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया जिसके तहत यह विधेयक लाने की आवश्यकता उत्पन्न हुई। उन्होंने विपक्ष के इन आरोपों को गलत बताया कि सरकार इससे संबंधित जो अध्यादेश लायी वह चुनाव को ध्यान में रखते हुए लायी। उन्होंने इन आरोपों को निराधार बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सरकार हाथों पर हाथ धरे बैठी रही।
उन्होंने कहा कि इससे संबंधित मामले में 29 फरवरी को उच्चतम न्यायालय का आदेश आया। उसके बाद सात मार्च को राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी कर दिया। ऐसे में स्पष्ट है कि सरकार अजा, अजजा और ओबीसी वर्ग के आरक्षण के लिए पूरी तरह गंभीर है।
निशंक ने कहा कि पहले विश्वविद्यालय को इकाई मानकर ही शिक्षकों के पदों पर आरक्षण का प्रावधान था लेकिन बाद में एक याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देश को अमान्य करार कर दिया। उन्होंने कहा कि बाद में यूजीसी ने 21 विश्वविद्यालयों में व्यवस्था का अध्ययन कराया और पता लगाने का प्रयास किया कि विश्वविद्यालय के स्थान पर विभाग को इकाई मानेंगे तो क्या अंतर होगा। पता चला कि विश्वविद्यालय को इकाई मानने पर शिक्षकों के पदों पर आरक्षित वर्ग के लोगों को विभाग को इकाई मानने की तुलना में अधिक पद मिलते।
निशंक ने कहा कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय ने जब सरकार और यूजीसी की याचिका को खारिज कर दिया तो इस परिस्थिति में सरकार अध्यादेश लेकर आई। इसे यूजीसी ने मार्च महीने में तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया ।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी होती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने शिक्षण संस्थानों को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि पिछली मोदी सरकार के शासनकाल में किए गये प्रयासों के तहत देश के तीन शिक्षण संस्थानों ने विश्व के 200 शीर्ष स्थानों में स्थान पाया है।
इससे पूर्व विधेयक में चर्चा में भाग लेते हुए राजद के मनोज झा ने सरकार से सवाल किया कि वह कई दक्षता संस्थानों को इस विधेयक के प्रावधानों से अलग क्यों कर रही है? उन्होंने सरकार पर तदर्थ शिक्षकों के मुद्दे पर भी विचार करने की सलाह दी। शिवसेना के अनिल देसाई ने जहां देश में कई शिक्षकों की स्थिति को चिंताजनक बताया वहीं आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता ने उनकी पार्टी द्वारा दिल्ली के कालेजों के सुधार के लिए उठाये गये कदमों का उल्लेख किया।
चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार मूल रूप से आरक्षण के विचार की विरोधी है। भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने जहां मानव को मनुष्य बनाने के लिए शिक्षा को आवश्यक बताया वहीं कांग्रेस के एल हनुमनथैया ने इस बात पर चिंता जतायी कि आजकल अदालतों द्वारा ऐसे फैसले सुनाये जा रहे हैं जिससे अजा, अजजा एवं ओबीसी वर्गों का सशक्तिकरण कम हो रहा है।
भाकपा के विनय विश्वम ने इस मामले में सरकार की मंशा पर सन्देह व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने इस विधेयक को लाने में इतना विलंब क्यों किया?
भाजपा के शिवप्रताप शुक्ल, शंभुप्रसाद टुंडिया एवं आरपीआई (ए) के रामदास अठावले ने विधेयक का समर्थन करते हुए आरक्षण के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता की सराहना की।
कांग्रेस के प्रदीप टमटा ने अजा, अजजा एवं ओबीसी से जुड़े इसे महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा के लिए सदन में कम समय दिये जाने पर आपत्ति जतायी वहीं बसपा के वीर सिंह ने सुझाव दिया कि केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों में आरक्षित पदों के बैक लाग को पहले भरा जाए।
माकपा के इलावरम करीम ने कहा कि सरकार को संसद की अनदेखी कर बार बार अध्यादेश लाने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए।

Naryana Health Ad
Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.