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सड़कों पे रात-दिन, घूमते मवेशी और…

राही के हास्य छन्द

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:

चुस्त हो चुके हैं अब, शहरी हमारे सब,
शहरों का हाल जरा,अभी ढीला ढाला है।

सड़कों पे रात-दिन, घूमते मवेशी और,
कचरे से ठसाठस, छोटा बड़ा नाला है।

सिग्नल अपना है, अपनी सभी से यारी,
जिसे देखो वही यहाँ, नेताजी का साला है।

पीओ और पीने दो, नारा हमें ठीक लगे,
गली गली पीनेवाले,खुली मधुशाला है।

लेखक:कवि:राजेश जैन राही, रायपुर

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