बढ़ती हुई महंगाई कहीं मोदी सरकार द्वारा किए हुए अच्छे कामों पर पानी ना फेर दे
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
विगत कुछ समय से सोशल मीडिया से लेकर समाचार पत्रों तक महंगाई पर काफी चर्चा की जा है । लोगों को लगने लगा था कि सरकार बदलने के बाद उन लोगों को सत्तासीन किया गया जो अपने को निम्न वर्ग और मध्यम वर्गीय लोगों का हितैषी बताते थे । यह भी उतना ही कटु सत्य है कि भाजपा ने महंगाई के खिलाफ हर मोर्चे पर तत्कालीन सरकार को घेरा है । उसमे इस तरह के प्रदर्शन से कामयाब भी रही है जिसका फल वो आज भी खा रही है । पर जब उसको सरकार मे आने के बाद कुछ करने का मौका तो मिला तो दुर्भाग्य से यह सरकार भी उसी राहों में जाते दिख रही हैं । लोगों मे असंतोष है और रहना भी चाहिए। जिस उम्मीदों से लोगों ने मोदी जी पर विश्वास किया हर क्षेत्र में मोदी जी सफल है । पर जिस मुद्दे से आम आदमी का रोज का पाला पड़ता है, वो है महंगाई जिसमें सरकार का नियंत्रण बिलकुल दिखाई नहीं दिखाई दे रहा है। जब जीएसटी पर भी पेट्रोल को लेकर अलग मापदंड है। ऐसे मे तो इन्होंने जनता से जो वायदा किया था उसमे तो कम से कम खरे नहीं उतर रहे है । जिस तरह से महंगाई बढी है उस पर अंकुश कैसे लगाया जाए यह लोग समझ नहीं पा रहे हैं। पर आम आदमी को इससे कोई लेना देना नही है। यह जरूर है कि कोरोना के कारण भी महंगाई एक बहुत बड़ा कारण बन सकती है। पर यह बात भी क्षमय नहीं है । आज अगर पेट्रोल सौ रूपये के आसपास पहुंच रहा है तो यह गंभीर विषय है । पर शासन इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की बात करे तो भी लाजिमी नहीं है। पेट्रोल के टैक्स देखकर हर आम आदमी हैरान है उसमे कमी कर सरकार उसे नियंत्रित कर सकतीं हैं। ” जहां चाह है वहां राह भी है ” ।
अगर ऐसे ही चलता रहा तो पेट्रोल डीजल कहां जाकर रूकेंगे पता नहीं। इसके कारण दूसरे क्षेत्रों में भी महंगाई का असर बहुत पड़ेगा, इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता। मैं आगाह कर दू कि इसके चलते विगत सात साल मे जो भी अच्छा काम किया है वो धरे का धरा रह जाएगा। यह भी उतना ही कटु सत्य है कि जब जेब पर महंगाई भारी पड़ने लगेगी तो आप लोगों के द्वारा जागृत किया गया राष्ट्रवाद व सांस्कृतिक विरासत पर ग्रहण लग जाएगा। राजनीति के जानकारों का कहना है कि आर्थिक का राजनीति से गहरा संबंध है। यही कारण है कि आप पार्टी के निःशुल्क शब्द ने उसे पुनः सत्तासीन हो गये
यह तय है यह महंगाई इनके विकास पर भारी पड़ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं। एक राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े होने के बावजूद अब लगने लगा है कि इनके सही बात भी लोगों को अगर अप्रासंगिक लगने लगे तो दो बात नहीं। अब सरकार को गंभीरता से इस पर विचार करना होगा और राहत प्रदान करनी होगी ,नहीं तो इस सरकार ने जो भी, जिसमें राममंदिर का मुद्दा सुलझाया है, कहीं उस पर पानी न फिर जाए । सरकार को लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को समझने की नितांत आवश्यकता है । यह लेख इसे गुजारिश समझा जाए या आगाह या चेतावनी किसी भी रूप में लिया जाए पर राहत ही इसका विकल्प है; नहीं तो राहत देकर जो सत्तर साल से चल रहा था, कहीं उन्ही के साथ जनता न हो जाए । वैसे भी आम आदमी को परिवार और जेब ज्यादा मायने रखता है। फिर न उसे चीन न तुषटिकरण सब सहने की मानसिकता बना लेता है । यही कारण है कि ये लोग सफल भी रहे हैं । वहीं दुर्भाग्य से विपक्ष भी जिस मुद्दे को सड़कों का मुद्दा बनाना था उसमें असफल रहा है। राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में ही अपने को झोंका रहा था जिससे उसकी विश्वसनीयता मे कमी आई है । अगर वह इमानदारी से इस मुद्दे पर केंद्रित रखता तो सरकार भी कटघरे में आ जाती ।
कुल मिलाकर महंगाई मुद्दा बना नहीं, पर लोग महसूस कर रहे हैं इससे कोई इंकार भी नहीं कर सकता। महंगाई कैसे नियंत्रण मे लाया जाए इस पर लोगों को सरकार कुछ करते दिखनी चाहिए । अन्यथा आर्थिक मुद्दों पर सबका चरित्र एक सा ही है वैसे ही लगेगा । बस इतना ही ।
लेखक:डा.चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ-अभनपूर (ये लेखक के अपने विचार हैं)