Positive India:Vishal Jha:
कृषि कानून वापसी की खबर सुनते ही मन भारी हो गया।
ऐसा लगा जैसे घर का कोई अभिभावक विश्व फतह करके आ गया हो, किन्तु घर में आकर टूट गया हो। बहुत दुख हुआ मुझे। सहानुभूति उमड़ आयी। मन करुणा से भर गया। जैसे टूटे हुए अपने गृह स्वामी को रोता-बिलखता देख रहा हूं। दूर खड़े अपने एक साथी मित्र को कहा, “सुनिए एक शोक संदेश आया है, तीनों कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं।”
मोदी हमारे देश का एक ऐसा अभिभावक जो विश्व के सुपर पावर देश अमेरिका का चुनावी आयाम तय करता हो, विश्व के सुपर सुरक्षित कंट्री इजरायल की होर्डिंग में लहराता हुआ जैसे इजराइल का भाग्य विधाता बन गया हो, चैंपियन ऑफ द अर्थ का पुरस्कार हासिल हो, वह अपने ही देश में अपने ही घर में आकर जब टूट जाता है। तो यह साफ संकेत करता है कि हम मोदी को डिजर्व नहीं करते। लिहाजा न हम सुपर पावर में अमेरिका हो सकते हैं और ना ही सुपर सुरक्षित में इजरायल।
मोदी जो असल में है और मोदी को जैसा हम चाहते हैं ये दो आयाम हैं मोदी के व्यक्तित्व का। मोदी अगर अपने किए फैसले वापस लेता है, मतलब हुआ कि मोदी जो असल में है उस व्यक्तित्व की हत्या हो रही है। और हम एक वैसा मोदी प्राप्त कर रहे हैं जैसा ठीक हम चाहते हैं। मोदी के असल व्यक्तित्व की ही इस हत्या का शोक है। हम सहानुभूति प्रकट करते हैं। सहानुभूति के वोट पर नेहरू गांधी के परिवार का ही हक क्यों रहेगा?
इस शोक में मिठाइयां बंट रही हैं। जश्न का माहौल है। देशभर में ढोल नगाड़े बज रहे हैं। लोग खुशी से झूम रहे हैं। ये वही लोग हैं जो मोदी में से उसके असल व्यक्तित्व को मारकर एक निस्तेज व्यक्तित्व का मोदी प्राप्त करना चाहते थे। वे लोग अपने प्रयास को सफल होता देख रहे हैं।
बाकी एक हिस्सा भारत वह जो अपने अभिभावक के लिए हृदय में सहानुभूति झेल रहा है। करुणा झेल रहा है। उस भारत से कहना चाहूंगा कि मोदी के किसी पुनर्अवतार की उसे प्रतीक्षा करनी होगी।
यह मेरे तत्काल मनोभाव का उल्लेख है। विश्लेषण अभी शेष है। क्रमश..
साभार:विशाल झा