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कोटा में 100 से अधिक बच्चों की मौत के जिम्मेदार मंत्री का ग्रीन कारपेट से स्वागत

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा का ग्रीन कारपेट से स्वागत की तैयारी।

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
कोटा में 100 से अधिक बच्चों की मौत के जिम्मेदार मंत्री का रेड कारपेट से स्वागत होना यह दर्शाता है कि मंत्री पद पर बैठे राजनेता आम आदमी के बारे में क्या सोचते हैं तथा उनकी जान की कीमत कैसे लगाते हैं।

देश मे स्वास्थ्य सुरक्षा पर गंभीरता से विचार करना होगा । जिस तरह की खबरे आ रहे है वो चिंताजनक है । आजादी के सात दशक बाद भी स्वास्थ्य की यह दुर्दशा निश्चित इस विषय पर नये सिरे से खाका तैयार करने की आवश्यकता है । जब भी देखो देश के किसी भी हिस्से से दुखद घटना के समाचार आ ही जाते है । पहले गोरखपुर मे इंसिफिलायटिस से काफी बच्चो की जान गई । फिर अब कोटा मे एक सौ सात बच्चो की जान गई । इतनी संवेदनहीनता कैसे है ये समझ से परे है । फिर वहा के मुख्यमंत्री का गैर जिम्मेदाराना बयान अत्यंत दुखद है। राजनीति मे बड़े पदो ऐसे कैसे लोग पहुंच जाते है? यह दुख की बात है ।

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के पहुंचने पर अस्पताल की सजावट और कार्पेट बिछाना कितना घृणित काम है। असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है । चिकित्सा राज्य का विषय है। वहीं निम्नवर्ग व मध्यमवर्ग के लिए अपने स्वास्थ्य के लिए सरकारी अस्पताल ही सहारा होते है । पर कोटा से जैसे मीडिया मे खबरे आई वो ज्यादा चिंताजनक थी । हास्पिटल मे साफ सफाई का अभाव साफ परिलक्षित हो रहा था । गंदगी का यह आलम था कि बच्चे इलाज से ज्यादा इंफेक्शन के कारण अपनी जान गंवा बैठे । परिसर मे कुत्ते और सुवरो का खुले आम घूमना-फिरना कितना ज्यादा खतरनाक है। उससे स्वास्थ्य अमला परिचित है, फिर भी इतनी बड़ी लापरवाही!

कितनी भी अच्छी चिकित्सा व्यवस्था हो पर ऐसे माहौल मे मरीज ठीक तो नही हो सकता, सिर्फ जान ही गंवा सकता है । देश का कोई भी राज्य हो, उनके जिला चिकित्सालय संपूर्ण सुविधाजनक हो, जिससे हर नागरिक को स्वास्थ्य लाभ मिल सके । जिससे छोटी छोटी बातो के लिए लोग बड़े शहरो का रूख कम करेंगे । वहीं शासन को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को भी पूर्ण सुविधायुक्त बनाने की आवश्यकता है । देश के हर आम आदमी को उसके घर के पास ही अच्छी प्राथमिक उपचार मिल सके, यह प्रयास होना चाहिए ।

विगत कुछ सालो से स्मार्ट कार्ड के माध्यम से ईलाज की सुविधा मुहैया कराई जा रही थी । पर सरकार के इस पुनीत कार्य मे भी पलीता लगा दिया गया । इसका जहाँ दुरूपयोग किया जाने लगा, वही अनावश्यक शल्य चिकित्सा व अन्य गैर जरूरी चिकित्सा की बात सामने आने लगी । कहीं कहीं तो फर्जी वाडे की बात समाचार पत्र की सुर्खियाँ बनी । अब राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वास्थ्य पालिसी को अमलीजामा पहनाने का काम करना होगा । अभी तक हुई सभी गल्तियों को ध्यान मे रखकर एक राष्ट्रीय नीति बनानी होगी । अब हमे तय करना होगा कि भविष्य मे न कोई गोरखपुर कांड न कोई कोटा होगा । इसमे देश के नागरिको की सहभागिता की भी आवश्यकता है । जिस देश मे नागरिक स्वस्थ होगा, वो देश अपने आप स्वस्थ होगा ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ- अभनपुर।

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