Positive India:Rajesh Jain Rahi:
यमुना तट पर चीर लुटा है,
प्रश्न पुनः गहराया है।
आज रात्रि के गहन तिमिर में,
शव बेटी का आया है।
साथ खड़े धमकाने वाले,
वर्दी को चमकाने वाले,
एक स्वप्न को अपने हठ से,
किसने आज जलाया है ?
सन्नाटे में चीख उठी है,
घर के बाहर भीड़ जुटी है।
अर्थी का अधिकार नहीं है,
किसने तथ्य मिटाया है ?
चाँदी के सिक्के मत फेंको,
अंतर्मन में अपने देखो।
किसने माँ का आँचल फाड़ा,
किसने आज रुलाया है ?
फाँसी देना हैवानों को,
नहीं छोड़ना शैतानों को।
सत्ता पर जो लगा मुखौटा,
बेटी ने आज हटाया है ?
लेखक: राजेश जैन राही, रायपुर