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जहाँ थाने बिकते हो और नाबालिग लड़कियों का रेप होता हो।

नाबालिग लड़की से बलात्कार अब तो नियमित सुनने को व पढ़ने को मिल रहा है । इंसाफ तो उड़ती चिड़िया का नाम हो गया है ।

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Positive India: Dr.Chandrakant Wagh:कानून का राज कैसे स्थापित करे , ये इस देश की सबसे बड़ी समस्या है । इसका कारण सबको पता है फिर भी इस पर अमल नही करना चाहते । राजनीति की जंजीर हर समय इसको कमजोर कर देती है । इनकी राजनीतिक   मजबूरियों  का संबंध सीधे कानून व्यवस्था से ही रहता है । इसलिए कार्य पालिका का हस्तक्षेप हर समय बना रहता है । चाहे किसी भी दल की सरकार हो । पर यहां के नागरिको को इस मामले मे कोई परिवर्तन नही दिखता । आम लोगो को ये आश्चर्य होता है कि राजनीति मे कदम रखते ही कोई बगैर पद के कैसे संपन्न हो जाता है ? पद मिलने के बाद तो पौ बारह है । किसी भी पार्टी को अपने जमीनी कार्यकर्ता  से काम कराना है तो उसे तो छूट देने ही पड़ेगी । कोई भी अपनी जेब से दल का काम क्यो करने लगे ? वही छोटे आयोजन का खर्च इन्ही के मत्थे पड़ता है । वैसे  कार्यकर्ता भी नेता के नजदीक आने के लिए उत्साह से ये काम करता है । विवाह जैसे समारोह मे ये वेटर के काम मे भी आनंदित महसूस करते है । इसका फल आगे चलकर कई लोगो को मिलता है नजरे इनायत होने पर महामहिम बनते तक लोगो ने देखा है । पुनः मुद्दे पर इस सबके कारण इस सबका असर व्यवस्थापिका पर गहरा पड़ता है । इसके कारण कानून कमजोर होते जाता है । हर उन मामले पर जहां राजनीति हो जाती है वहा केस को अपने हिसाब से मोड़ दिया जाता है । कई बार तो अपने राजनीतिक फायदे के लिए निर्दोष लोगो की बलि लेने मे ये तबका हिचकता नही है । पिछले यू पी ए के सरकार मे ऐसे कई मामले दर्ज किए गए थे । इसका सबसे बड़ा कारण जांच ऐजेंसिया इनके अंदर रह कर काम करती है । जब जांच का आधार ही राजनीतिक है तो पड़ताल भी उसी दिशा मे काम करता है । यही कारण है बड़े केस मे न्यायालय भी आश्चर्य में रहता है और कई बार फटकार भी लगाता है । उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी सीबीआई को लेकर की वो तोता है ये कटु सत्य है । अगर जांच ऐजेंसियो को खुली छूट दी जाय तो परिणाम भी आश्चर्यचकित करने वाले होंगे । इसका असर जमीन मे देखने को मिलेगा । जब जांच ऐजेंसिया स्वतंत्र हो जााएगी तो कोई भी राजनीतिक दबाव काम नही आयेगा तब इनकी राजनीति धरी की धरी रह जायेगी । ऐसे मे निचले स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ता मिलना मुश्किल हो जाएगा । आज तो अधिकाँश के परिवार इसके बूते चल रहे है । जब तक थाने नीलाम होंगे तब तक पारदर्शी कार्यवाही कहाँ से मिल पाएगी ? यही कारण है देश मे अराजकता सा माहौल है । नाबालिग लड़की से बलात्कार अब तो नियमित सुनने को व पढ़ने को मिल रहा है । इंसाफ तो उड़ती चिड़िया का नाम हो गया है । वोट बिक रहे है करोड़ो के चुनाव हो गए है । जब सब चीज पैसे मे ही तय हो रही है । फिर महंगे अधिवक्ता कब काम आऐंगे । सलमान खान वाले केस मे देश ने देखा है । इस देश की जिस तरह न्यायालय स्वतंत्र है वैसे ही सीबीआई व पोलिस को भी स्वतंत्र कर देना चाहिए फिर इनका खौफ सर चढ़कर बोलेगा । फिर कही भी अपराध करने के पहले बंदा दस बार सोचेगा । जांच एजेंसी को भी अपने काम मे स्वायत्ता रहेंगी । जिससे कभी माननीय पर कार्रवाई करनी हो तो किसी अनुमति व हस्तक्षेप की आशंका नही । ऐसे मे जब दो नंबर के काम बंद होंगे तो फिर कोई राजनीति की चौखट क्यो लांघने लगे ? नेताओ के हाथ बंधे रहने से उनके अनुयायी जहांं मायूस रहेंगे वही ये महामहिम अपने को लाचार महसूस करने लगेंगे । ऐसे मे इनके साथ जुड़े रहने से क्या फायदा ? जो राजनीति देश को घुन की तरह खा रही है उससे ये देश मुक्त हो जाएगा । इसका असर राजनीतिक स्वच्छता मे भी दिखाई देगा । वही मीडिलमैन की भूमिका भी खत्म हो जाएगी । अगर राम राज व कानून का राज लाना है तो ये कड़ा निर्णय मोदी जी को लेना होगा । इससे उनके दल के भी लोग नपेंगे पर परिणाम आशातीत मिलेंगे । संस्था वही, पर काम करने के तरीके बदल जाएंगे । इस तरह के फैसले का विरोध हर दल व उसका कार्यकर्ता करेगा । जहां राजनीति की दुकान बंद होगी वही ऐशो-आराम से महफूज हो जाऐंगे । ये राजनीतिक बेरोजगारी पारिवारिक संकट का भी कारण बनेगी । पर इन सबसे बड़ा देश है इसलिए इस तरह के कड़े निणॆय देशहित वह जनहित दोनो के लिए है ।
लेखक डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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