राम मंदिर के साथ मोदी 2.0 की अहम चुनौतियां
राम मंदिर का मुद्दा सरकार के लिए एक अग्नि परीक्षा है ।
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
चुनाव संपन्न हो गये है । नई सरकार ने शपथ ग्रहण कर ली है । अब वादे पूरे करने का समय आ गया है । दूसरी बार तो लोगो ने भरपूर प्यार के साथ सत्ता सौंपी है । हालात यह हो गये है कि भाजपा को ही इस चुनाव मे पूर्ण बहुमत जनता ने दे दिया है । अब जवाबदेही काफी बढ़ गई है । अब तो किसी काम के न होने का बहाना भी बनाते नही बनेगा । अमित शाह गृहमंत्री बन गए है । लोगो मे आशा ज्यादा जागृत हो गई है । अब इस सरकार को अपने पांच साल के एजेंडे अभी से तय करने पड़ेंगे । पर कुछ मामले इतने संवेदनशील है कि इसे सुलझाने मे सतर्कता रखनी होगी । विशेषकर राम मंदिर Ram Mandir का मुद्दा जो सरकार के लिए एक अग्नि परीक्षा ही है । न्यायालय ने मध्यस्थता के लिए करीब छह महीने का समय दिया है । देखो क्या बात निकलकर आती है ये आने वाला समय बताएगा । पर मध्यस्थातता के निर्णय पर सब लोग राजी होंगे यह भी जरूरी नही है । वैसे राम मंदिर Ram Mandir के मुद्दे में राजनीति नही घुसती तो यह मामला सोमनाथ मंदिर के तरह सुलझ भी जाता । पर राजनीति को इसकी संवेदनशीलता से क्या मतलब ? । दुर्भाग्य से सुलह न होने पर यह मुद्दा न्यायालय के फैसले तक झूलते रहेगा । कई बार तो ऐसा महसूस होता है की इस पर कोई निर्णय लेना चाहते नही है इसलिए जब मौका मिलता है दूसरे के गलियारे मे ढकेल दिया जाता है । लोगो को भी यही महसूस होने लगा है । छै माह के बाद भी राम मंदिर Ram Mandir पर सामंजस्य बनेगा, ऐसा किसी को भी लगता नही है । पुनश्चः अपनी पुरानी स्थिति मे ये खड़ा हो जाएगा । जब तक न्यायालय मे है तो व्यवस्थापिका भी अपने हाथ खींचे रहेगी । अब नये गृहमंत्री इस पर क्या निर्णय लेते है आने वाले समय पर पता चलेगा ।
वहीं दूसरा मुद्दा भी गृहमंत्रालय से ही है । यहाँ पर भी कमोबेश यही स्थिति है । न्यायालय और सरकार के रस्साकशी मे कैसे इसका निर्णय निकलता है ये देखने वाली बात होगी । इसके लिए अलगाववादियो और वहा के रीजनल पार्टियो से कैसे इस समस्या का हल निकलता वह भी गृहमंत्री अमित शाह के लिए चुनौती ही है ।
नव नियुक्त विदेश मंत्री एस जयशंकर विदेश नीति से अच्छे से वाकिफ है फिर भी चीन और पाकिस्तान पर नजर बनाकर रखनी पड़ेगी ।
तीसरे नंबर पर वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन के सामने चुनौती है, ये है देश को महंगाई से निजात दिलाने की । इससे आम आदमी प्रभावित होता है । वही नये रोजगार का सृजन भी एक चुनौती ही होगी, क्योंकि विपक्ष के लिए ये मुद्दा हाटकेक है । विश्व पटलपर जी डी पी की दर को अच्छा बनाए रखना भी बड़ी मुश्किल वाला काम होगा । कालेधन के नाम से जो देश को आश्वस्त किया गया उसे भी पूर्ण करना होगा । भगोड़े कारोबारियो का प्रत्यर्पण भी एक मुश्किल भरा काम है । देश मे चल रहे आथिर्क घोटाले पर भी सूक्ष्म दृष्टि आवश्यक है ।
चुनौती मुँह बाये खड़ी है नव नियुक्त रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के सामने । उनहे पाक और चीन से उलझ कर रहते हुए भारत की स्थिति करनी होगी, आतंकवादी घटनाओं पर काबू पाना होगा । घाटी पर भी नियंत्रण चुनौती होगी । वही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण व परेशानी का कारण नये रक्षा सौदे होंगे जिसमें पाक साफ निकलना होगा । जब से देश आजाद हुआ है रक्षा घोटालो की लिस्ट खत्म ही नही हो रही है । इस पर अंकुश की आवश्यकता है । अभी राफेल का मुद्दा खत्म नही हुआ है । इस पर पारदर्शिता निहायत जरूरी है । बाकी चुनौतियां पर आगे चर्चा ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)