Positive India:Rajesh Jain Rahi:
राम जी की प्रेरणा से, राम जी को भजता हूँ,
राम की कृपा से सारे, काम बन जाते हैं।
लिखना जो चाहता हूँ, राम जी पे शब्द कुछ,
साथी मेरे सदा प्यारे, राम बन जाते हैं।
ज्ञात नहीं व्याकरण, पास नहीं आचरण,
मूँद लेता आँख प्रभु, धाम बन जाते हैं।
भोर के प्रकाश में हैं, रात के आकाश में हैँ,
भाव से पुकारो मीठी, शाम बन जाते हैं।
लेखक: राजेश जैन राही, रायपुर