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राम का संदेश जन, जन को सुनाऊँगा

राम का चरित् प्यारा, मैं भी लिख पाऊँगा।

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:
राही की राम राम

मात वागेश्वरी का हो, सर पर हाथ मेरे,
राम का चरित् प्यारा, मैं भी लिख पाऊँगा।

लक्ष्मण की कृपा के, फूल यदि खिल जाएँ,
लक्ष्य पर परचम, मैं भी लहराऊँगा।

मात जानकी का नेह, साथ मेरे रहा यदि,
ऋण मातृभूमि वाला, कुछ तो चुकाऊँगा।

हनुमंत का आशीष, शीश पे बना रहा तो,
राम का संदेश जन, जन को सुनाऊँगा।

लेखक:कवि:राजेश जैन राही, रायपुर

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