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राजाराम त्रिपाठी कमला राय मेमोरियल अवार्ड -2019 से सम्मानित

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Rajaram Tripathy gets Kamala Rai Memorial Awards.
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Positive India:देश के सर्वश्रेष्ठ नवाचारी कृषक को दिया जाने वाला इस वर्ष का “कमला राय मेमोरियल अवार्ड-2019” कोंडागांव बस्तर के जैविक व वनौषधि कृषक राजाराम त्रिपाठी को दिया गया। चार मार्च को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ,आईसीएआर पूषा दिल्ली के परिषद में आयोजित एक समारोह में देश में कृषि के क्षेत्र में विभिन्न विषयों पर अनुसंधान करने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ ही छत्तीसगढ़ के कोंडागांव बस्तर में विगत 3 वर्षों से जैविक पद्धति से विलुप्त प्राय वन औषधियों की खेती कर रहे किसान राजाराम त्रिपाठी यह अवार्ड प्रदान किया गया।

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भारत सरकार के उद्यानिकी आयुक्त डॉ बी एन एस मूर्ति, डॉ प्रभात कुमार नेशनल कोआर्डिनेटर आईसीएआर, डॉ टी जानकीराम एडीजी आईसीएआर, डॉ ड्ब्ल्यू एस ढिल्लन एडीजी आईसीएआर, डॉ बीएस तोमर हेड साइंटिस्ट वेजिटेबल साइंस,श्री अजयवंश त्यागी प्रेसीडेंट आईएनए, डॉ बलराज सिंह प्रेसीडेंट सोसायटी फॉर हार्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट एसएचआरडी, डॉ सोमदत्त त्यागी सचिव एसएचआरडी के कर कमलों से प्रदान किया गया।

राजाराम त्रिपाठी को यह सम्मान उनके द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण के जरिए अंतर्भरती फसलों को पोषण प्रदान करने वाले एवं बहुमूल्य इमारती लकड़ी से अतिरिक्त आय प्रदान करने वाले पेड़ आस्ट्रेलियन टीक (बबूल) के साथ काली मिर्च की खेती की जैविक पद्धति विकसित करने हेतु तथा काली मिर्च स्टीविया अर्थात मीठी तुलसी, सफेद मूसली आदि की जैविक एवं परंपरागत चयन पद्धति से नई किस्मों के विकास कार्यों के लिए दिया गया।

उल्लेखनीय है कि इन्होंने विगत तीन दशकों में छत्तीसगढ़ सहित भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में सफलता पूर्वक उगाई जा सकने वाली तथा परंपरागत किस्मों की तुलना में ज्यादा उत्पादन देने वाली रोग प्रतिरोधक प्रजाति काली मिर्च एमडीबीपी सोलह के विकास हेतु, तथा देश की सर्वोच्च शोध संस्थान सीएसआइआर आईएचबीटी के द्वारा विकसित बिना कड़वाहट वाली स्टीविया अर्थात मीठी तुलसी की नई किस्मों के विकास में योगदान हेतु दिया किया गया है। वर्तमान में श्री त्रिपाठी की संस्था मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के साथ मिलकर बस्तर के लगभग सात सौ से अधिक आदिवासी परिवार इस नई पद्धति से नई प्रजातियों की खेती कर अपनी आय वृद्धि तथा जीवन स्तर में सुधार के कार्य में लगे हुए हैं । औषधि एवं सुगंधी पौधों की खेती करने वाले किसानों को इन इनके उत्पादन को बेचने में होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए, दो दशक पूर्व, इनके द्वारा इन किसानों को एकजुट कर एक मार्केटिंग फोरम तैयार करने हेतु “सेंट्रल हर्बल एग्रो मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया” चैम्फ की भी स्थापना की गई। वर्तमान में लगभग पच्चीस हजार से अधिक किसान इस संस्था के साथ कदमताल करते हुए जैविक पद्धति से औषधीय तथा सुगंधित पौधों की खेती कर रहे हैं तथा अपने उत्पादों को सहकारिता के सिद्धांत के अनुरूप इस संस्था के जरिए देश तथा विदेश में सफलता पूर्वक मार्केटिंग कर रहे हैं। इस अवसर पर देश के चुनिंदा वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ ही जनजातीय सरोकारों की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका के प्रकाशक तथा परामर्श संपादक वरिष्ठ साहित्यकार कुसुम लता सिंह भी उपस्थित थीं।इस अवसर पर राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि यह सम्मान छत्तीसगढ़ बस्तर की माटी तथा मां दंतेश्वरी समूह से जुड़े सभी आदिवासी किसान भाइयों का सम्मान है। पिछले दशकों में हमारे वैज्ञानिकों ने अथक परिश्रम किया है किंतु इनके शोधों का लाभ अभी भी पूरी तरह से किसानों को नहीं मिल पा रहा है यह तभी संभव हो पाएगा जब किसान और विज्ञान यानी वैज्ञानिक साथ साथ मिलकर काम करेंगे। ज्यादा लाभदायक उन्नत किस्मों के शोध एवं विकास कार्य में में देश के नवाचारी किसानों को भी जोड़ा जाना चाहिए। भारतीय नर्सरीमैन एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजयवंश त्यागी ने कहा कि सरकारों को बीज तथा पौधे किसानों के खेतों पर विकसित कराया जाना चाहिए, तथा इस तरह तैयार उन्नत बीज एवं और पौधों का सरकार के द्वारा बायबैक किया जाना चाहिए। इस संबंध में सरकार को स्पष्ट नीति बनाने की आवश्यकता है।

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