Positive India: Delhi;Sep 19, 2020.
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी पीयूष गोयल, रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, देवाश्री चौधरी, बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, अन्य मंत्रीगण, सांसद और विधायक गण और तकनीक के माध्यम से जुड़े बिहार के मेरे भाइयों और बहनों !
साथियों, आज बिहार में रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है। कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही बिहार में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण और रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने, नए रोज़गार पैदा करने वाले एक दर्जन प्रोजेक्ट्स का आज लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है। लगभग 3 हज़ार करोड़ रुपए के इन प्रोजेक्ट्स से बिहार का रेल नेटवर्क तो सशक्त होगा ही, पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत की रेल कनेक्टिविटी भी मज़बूत होगी। बिहार सहित पूर्वी भारत के करोड़ों रेल यात्रियों को मिलने जा रही इन नई और आधुनिक सुविधाओं के लिए मैं आज सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों, बिहार में गंगा जी हों, कोसी हो, सोन हों, नदियों के विस्तार के कारण बिहार के अनेक हिस्से एक-दूसरे से कटे हुए रहे हैं। बिहार के करीब-करीब हर हिस्से के लोगों की एक बड़ी दिक्कत रही है, नदियों की वजह से होने वाला लंबा सफर। जब नीतीश जी रेल मंत्री थे, जब पासवान जी रेल मंत्री थे, तो उन्होंने भी इस समस्या को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किया था। लेकिन फिर एक लंबा समय वो आया, जब इस दिशा में ज्यादा काम ही नहीं किया गया। ऐसे में बिहार की, बिहार के करोड़ों लोगों की, इस बड़ी समस्या के समाधान के संकल्प के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। पिछले 5-6 साल में एक के बाद एक, इस समस्या के हल की तरफ तेज़ी से कदम आगे बढ़ाए गए हैं।
साथियों, 4 वर्ष पहले, उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले दो महासेतु, एक पटना में और दूसरा मुंगेर में शुरु किए गए थे। इन दोनों रेल पुलों के चालू हो जाने से उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच, लोगों का आना-जाना और आसान हुआ है। खासकर उत्तर बिहार के क्षेत्र, जो दशकों से विकास से वंचित थे, उन्हें विकास के लिए नई गति मिली है। आज मिथिला और कोसी क्षेत्र को जोड़ने वाला महासेतु और सुपौल-आसनपुर कुपहा रेल रूट भी बिहार वासियों की सेवा में समर्पित है।
साथियों, लगभग साढ़े 8 दशक पहले भूकंप की एक भीषण आपदा ने मिथिला और कोसी क्षेत्र को अलग-थलग कर दिया था। आज ये संयोग ही है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच इन दोनों अंचलों को आपस में जोड़ा जा रहा है। मुझे बताया गया है कि इसके आखिरी चरण के कार्यों में दूसरे राज्यों से आए श्रमिक साथियों ने भी बहुत सहयोग किया है। वैसे ये महासेतु और ये प्रोजेक्ट श्रद्धेय अटल जी और नीतीश बाबू का ड्रीम प्रोजेक्ट भी रहा है। जब 2003 में नीतीश जी रेल मंत्री थे और श्रद्धेय अटल जी प्रधानमंत्री, तब नई कोसी रेल लाइन परियोजना की परिकल्पना की गई थी। इसका उद्देश्य यही था कि मिथिला और कोसी क्षेत्र के लोगों की दिक्कतों को दूर किया जाए। इसी सोच के साथ 2003 में अटल जी द्वारा इस परियोजना का शिलान्यास किया गया था। लेकिन अगले वर्ष अटल जी की सरकार चली गई और उसके बाद कोसी रेल लाइन परियोजना की रफ्तार भी उतनी ही धीमे हो गई।