Positive India: By Rajesh Jain Rahi:नववर्ष के पहले-पहले दिन, ऑफिस में पहला-पहला पत्र आया।
पत्र देश के एक बड़े राजनीतिक दल द्वारा प्रेषित था, लिफाफा देखकर ही मेरा मन हर्षाया।
पत्र का मजमून कुछ इस प्रकार था
“राही जी, आपको पार्टी के साहित्य प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया गया है। प्रदेशभर में आपको ही इस योग्य पाया गया है।
आप जानते हैं, आम चुनाव का वक्त है, अभी इस खबर को छुपाया गया है।”
कृपया प्रदेश के कवियों की एक सूची बनाइए।
जिसके विचार पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाते उनके नीचे लाल निशान लगाइए। नवोदित कवियों के नाम हटाइए अर्ध स्थापित कवियों के नाम के आगे भी फिलहाल विराम लगाइए। अब देखिए स्थापित कवियों में कौन-कौन अपने काम का है। हमारा इशारा कविता का नहीं, नाम का है ।
देखिए, कौन पीता पिलाता है ? सारे शौक फरमाता है।
उनसे मिलिए, मिलाइए ,चुनावी टिकट का झांसा देकर दल में शामिल कराइये।”
पार्टी के प्रचार में कई कवि सम्मेलनों का संयोजन करना है।
पत्र फाड़ दीजिये, निशान मिटाइये।
नीचे एक नम्बर लिखा है उसपर फोन लगाइये।”
साथियों पत्र मुझे आज मिला है,
मन चकराया है,
सच कहता हूँ मैंने किसी का नाम नहीं सुझाया है।
…राजेश जैन राही, रायपुर