आम चुनाव सर पर है,
आरोप-प्रत्यारोप का जोर है,
चारों ओर देश में एक ही शोर है,
कौन चौकीदार, कौन चोर है ?
मैंने भी सत्य की खोज का मन बनाया है,
लो बतलाता हूँ कहां-कहां क्या-क्या पाया है,
देश विरोधी नारे लगाकर कोई जमानत पर छूट गया है,
कोई आरक्षण की आग लगाकर खुशियां लूट गया है।
वंदे मातरम बोलने से जो कतराता है,
वह भी खुद को देशभक्त बतलाता है।
जिसकी दाढ़ी में तिनका है,
वही चोर -चोर चिल्लाता है।
लेखक: राजेश जैन राही, रायपुर