बहन बेटियों माताओं के लिए सुरक्षित वातावरण ही नवरात्रि साधना को करेगी सार्थक
Positive India:Suresh Mistry:
शारदीय नवरात्र प्रारंभ हुए है…. सभी सनातनी भाई बहनों मित्रो बच्चो बड़ों को मेरे और मेरे परिवार की और से नवरात्रि की शुभकामना पूर्ण बधाई…❣️🙏
शक्ति पूजा के साधक इस भारत वर्ष में हम समस्त नारी जगत में मातृ सता आदि शक्ति के प्रत्यके विभिन्न स्वरूपों के दर्शन करने वाले पूर्वजों के वंशज आज कितनी विडम्बना युग में जी रहे यह भी इन नव दिवसों के शक्ति आराधना पर्व में हमें अवश्य विचार चिंतन मनन्न और शुद्ध बुद्धि से आकलन करना चाहिए…
या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता…
दुर्गा शप्त शती का पवित्र श्लोक मंत्र उच्चारित कर दैवी शक्ति की आराधना करता भारत वर्ष आज भी तनिक मामूली से विवाद और आवेग मात्र में प्रथम अपशब्द मां बहन बेटी के नाम मिश्रित गाली से ही देता है यह कैसी धृष्टता है….?
शायद मातृ बहन और बेटी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हिंदुओ के स्वभाव से परिचित आक्रांताओं ने ही हिंदुओ को अपमानित करने के लिए… यह शब्द घड़े होंगे… ?
और फिर गुलाम मानसिकता ने यह प्रचलन में आत्म सात ही कर लिया…
बाक़ी कोई सनातनी मा खोद, बहन खोद, जैसा अधम विचार भी कर लेता आज से कुछ सौ वर्षों पूर्व यह असम्भव सा है…
आज भाषा में उर्दू फारसी शब्दो के उपयोग से ऐतराज़ रखने वाले ज्ञानी भी विवाद में यह अभद्र अश्लील हेय प्रयुक्त कर सामने वाले को अपमानित करना नहीं चूकते…?
खैर…मां बहन बेटी हर सुरत में हमारे परिवार की हर स्त्री कन्या हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है और हम उसके प्रति कितने संवेदनशील है …यही दर्शाता है कि हमारे विरोधियों ने ऐसी अनुचित त्याज्य मर्यादा विहीन अप शब्दावली प्रयोग के द्वारा हमें अपमानित करने के बारे में ऐसे अपशब्द घड़े अब जानबूझकर या अनजाने में यह कह नहीं सकते…?
सड़क पर बाहर निकलकर दूसरे की बहन बेटी को कुदृष्टि से देखने वाला हर निर्लज्ज दूसरे असभ्य दो पगी पशु को यह हक देता है कि तुम भी ऐसा ही असुरक्षित वातावरण बनाओ जहां मेरी बहन बेटी को बाहर निकलने से संकोच हो… भय हो….?
मां बहन बेटी के संबोधन के साथ अप शब्द जोड़कर गाली देना तो पता नहीं कौन सी वीरता और बहादुरी का प्रतीक बन गया है….?
चलिए इस नवरात्रि मां से वरदान मांगे आराधना के फल स्वरुप कि हम सनातन की बहन बेटियों माताओं का वह सम्मान और गरिमा को कम से कम आपसी बातचीत में तो वह स्थान दे सकें जिससे हमारी सभ्यता और संस्कृत हो…
बहुत कुछ है… फ़िर कभी…
में भी प्रयास करूंगा, आप भी करे… कुछ अशिष्ट स्त्री संज्ञा संलग्न अपशब्द त्याग ने की और बाहर सड़क पर, टाइम लाइन पर बहन बेटियों माताओं के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने की…
यही सार्थक नवरात्रि साधना हो शायद…
वरना स्त्री शक्ति को अपमानित कर हम किस दैवीय वरदान की अपेक्षा आदि शक्ति से करे…?
लेखक:✍️सुरेश