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IPL की तैयारी और राष्ट्रभक्ति का स्वांग

-अजीत भारती की कलम से-

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Positive India:Ajeet Bharti:
पहले दो मैच और पाँचवें मैच में जिस तरह से भारतीय क्रिकेट टीम परास्त हुई है, वह बताता है कि आप अनंत काल तक ‘ये बस एक मैच था, हमारा एक प्रोसेस है, हार-जीत तो लगी रहती है, हम बाहर के शोर से प्रभावित नहीं होते’ आदि कह-कह कर केवल स्वयं को ठग सकते हो।

पैसे कमाना अनुचित नहीं, परंतु दर्शकों और खेलप्रेमियों को अपना दास समझने वाले कई क्रिकेटरों के भीतर राष्ट्रप्रेम जैसी भावना बची है, इस पर अब संदेह हो रहा है। टीम के पास कोई रोडमैप नहीं दिखता।

IPL में एक सीजन अच्छा करने वाले को हर फॉर्मेट में एंट्री दे दी जाती है, कई खिलाड़ियों को लगातार अवसर मिलते रहते हैं और इसी चक्कर में कई अच्छी प्रतिभाएँ लुप्त हो जाती हैं। ऐसा नहीं है कि IPL ने अच्छे खिलाड़ी नहीं दिए हैं, परंतु वैसे खिलाड़ियों के समूह का क्या करना जो वेस्ट इंडीज और बांग्लादेश से हार जाती है!

टेस्ट मैच में भी हमने वैसे मैच गँवाए हैं, जो जीत सकते थे। भारत के खिलाड़ी विदेशी स्पिनरों के हाथों पस्त होते दिखते हैं। टेस्ट टीम फिर भी एक अच्छी स्थिति में है। शामी, सिराज, जडेजा, अश्विन जैसे गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।

एक प्रशंसक के रूप में, भले ही क्रिकेट देखना लगभग त्याग ही चुका हूँ, बहुत दुख होता है जब कप्तान फील्ड पर ऐसे निर्णय लेता है जो हमें समझ में नहीं आते। आप कहेंगे कि आपका अनुभव और ज्ञान क्या ऑन फील्ड क्रिकेटरों से अधिक है, तो उत्तर है कि ऐसा कहने वाला केवल दर्शक नहीं, बल्कि कई पूर्व कप्तान और क्रिकेटर भी हैं।

मुझे लगता है कि कप्तान का विजन वह न्यूक्लिअस है जो कोच, खिलाड़ी, चयनकर्ताओं और बड़ी ट्रॉफी के लक्ष्य को बाँध कर रखता है। यदि खिलाड़ी, कोच या कप्तान में से कोई भी, इनके प्रति उदासीन हो, सतत प्रयत्नशील न रहे, तो पराजय तय है।

धोनी एक वैसे कप्तान थे जो चार वर्ष की तैयारी करते थे। कोहली में भी आक्रामकता रही है। रोहित शर्मा का एटीट्यूड कभी वैसा दिखा नहीं। IPL की सफलता या असफलता कभी भी, एक सीमा से परे, आपकी प्रतिभा को पूरा आयाम नहीं देती। हार्दिक पांड्या की कप्तानी देख लीजिए आप, कैसी विचित्र रही है!

कुछ खिलाड़ियों का राष्ट्रप्रेम, संभवतः, विदेशी दौरों पर जाने मात्र के लिए भारत के पासपोर्ट पर ही निर्भर है। इन्हें यदि IPL का पासपोर्ट मिलने लगे, तो वो भी चुन लेंगे। जनवरी से ही जो खिलाड़ी IPL स्टार है, उसकी फिटनेस भारतीय मैचों के लिए नहीं, बल्कि IPL की दृष्टि से देखी जाती है।

भारत के मैचों में ये कम खेलते हैं, रेस्ट लेते हैं और IPL में पूरा सीजन निकाल लेते हैं। जैसा कि मैंने कहा कि पैसे कमाना अनुचित नहीं है, परंतु राष्ट्रभक्ति का स्वांग मत रचो।

साभार:अजीत भारती-(ये लेखक के अपने विचार है)

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