Positive India:Rajesh Jain Rahi:
हँसना तो चाहूँ पर, किस बात पे हँसू मैं,
हँसी मुझे अपने ही, हाल पर आती है।
कायदे कानून मुझे, ज्ञात सारे जिंदगी के,
खाली खाली जेब, मेरी मुझको चिढ़ाती है।
घर में है अध्यादेश, राह में अधिनियम,
लाल आँख बॉस वाली, मुझको डराती है।
प्रेमिका की चाल पर, जान नहीं जाती अब,
सब्जियों के भाव सुन, जान चली जाती है।
लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर