दुआ कीजिए कि इस्राइल पलटवार न करे वरना ग़ाज़ा से कहीं ज़्यादा विनाश ईरान में होगा
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-
Positive India:Rajkamal Goswami:
ईरान ने कहा है कि इस्राइल के विरूद्ध उसका ऑपरेशन पूरा हो गया है । ईरानी मिसाइल और ड्रोन हमलों को अमेरिका ब्रिटेन के जॉर्डन और ईराक़ स्थित सैन्य अड्डों और इस्राइली ऑयरन डोम ने ९९% सफलता के साथ आकाश में ही निष्क्रिय कर दिया । इस तरह मध्यपूर्व के नाटक के ईरान इस्राइल सर्ग का पटाक्षेप हो गया ।
अमेरिका ने इस्राइल को पलटवार न करने की सलाह दी है । अब यह इस्राइल के ऊपर निर्भर करता है कि वह युद्ध को विस्तार देने का निर्णय लेता है या नहीं । आशा यही है अब यह झंझट फ़ौरी तौर पर ख़त्म हो गया है ।
१९४८ में इस्राइल के अस्तित्व में आने के बाद से मिस्र, सऊदी अरब, यमन, ईराक़ ,जोर्डन ,सीरिया कई बार इस्राइल पर हमला करके बुरी तरह परास्त हो चुके हैं । १९७४ के यौम कुप्पुर युद्ध के बाद मिस्र पूरी तरह शांत हो गया। उसके ५६००० सैनिक इस्राइल ने बंदी बना लिए, इसलिए उसकी हिम्मत पूरी तरह टूट गई । ज़्यादातर अरब देशों में सुन्नी मुसलमानों का राज है जो यहूदी इस्राइल के सामने समर्पण कर चुके हैं । इन सभी देशों में अमेरिका के सैन्य अड्डे हैं ।
सुन्नी और शिया समुदाय में श्रेष्ठता का पैमाना यही है कि कौन यहूदियों और काफिरों के वर्चस्व को दुनिया से समाप्त कर सकता है । सारी दुनिया में इस्लाम का बोलबाला पैदा करने में कौन ज़्यादा कामयाब है । तो अब इस्राइल के विरूद्ध इस्लामी जिहाद की बागडोर शिया मुल्क ईरान ने सँभाल ली है । यह जिहाद अब तक ईरान अपने प्रॉक्सी संगठन हिज़बुल्ला ,यमनी हूती आदि के माध्यम से चलाता रहा है । हमास यद्यपि सुन्नी है लेकिन ईरान का मोहरा है ।
इस्राइल भी ईरान के दाँवपेंच खूब समझता है । इस्राइल को पता है कि उसकी एक चूक से इस्राइल का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो जायेगा । इसलिए वह शत्रु को जब तब जहाँ तहाँ चोट पहुँचाता रहता है ।
इस्लाम कभी यहूदियों के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के साथ नहीं रह सकता । इस्लाम के उद्भव के साथ ही यहूदियों को अरब से उखाड़ दिया गया । पहले मदीना और फिर पूरा अरब यहूदियों से ख़ाली करा लिया गया । पूरी क़ुरान में सबसे ज़्यादा बार यहूदियों के पैग़ंबर मूसा का नाम आया है । यहूदियों को हर तरह से इस्लाम की दावत दी गई । जब वे किसी तरह से राज़ी नहीं हुए तो उन्हें मजबूरन बेदख़ल करना पड़ा । जिस क़ौम ने इस्लाम के पैग़ंबर की बात नहीं मानी भला उसको अरब की पवित्र भूमि में मुसलमान कैसे फलते फूलते हुए देख सकते हैं ।
दुनिया भर के मुसलमान इस्राइल के विनाश के लिए हर जुमा दुआ करते रहते हैं । ज़रा कहीं कोई इस्राइल पर हमला कर दें तो खिल उठते हैं ।
चलिए एक दिन की ही सही ख़ुशियाँ मुबारक हों । दुआ कीजिए कि इस्राइल पलटवार न करे वरना ग़ाज़ा से कहीं ज़्यादा विनाश ईरान में होगा । ईरान हमास के मुक़ाबले ज़्यादा ताकतवर है तो हमले भी अतिविध्वंसक हथियारों से होंगे । यदि ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला हुआ तो परमाणु बम से भी अधिक विनाशकारी होगा । इस्राइल के तरकश में कौन कौन से दिव्यास्त्र हैं इसका पता किसी को नहीं है ।
ॐ शांति: शांति: शांति:
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं )