पुरस्कृत करने वाले निकाय और मूल्यांकन एजेंसियाँ कौशल पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख स्तम्भ हैं,
नए दिशा निर्देश विनियमन ढांचे को और मजबूत करेंगे
Positive India Delhi Oct 28, 2020.
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और उसके एकीकृत नियामक- राष्ट्रीय कौशल शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) के सहयोग से डिजिटल सम्मेलन में आज पुरस्कार देने वाले निकाय (एबी) और मूल्यांकन एजेंसियों (एए) के लिए दिशा निर्देशों का सेट जारी किया गया। इन दो संस्थाओं की मान्यता और विनियमन के लिए दिशा निर्देश और संचालन नियमावली विकसित किए गए हैं, जो कौशल पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख तत्व हैं। दिशा निर्देशों का उद्देश्य कौशल भारत मिशन के तहत गुणवत्ता की स्थापना, बेहतर परिणामों और प्रक्रियाओं का मानकीकरण करना है।
कुशल भारत के दृष्टिकोण के तहत इन गतिशील दिशा निर्देशों की आवश्यकता पर जोर देते हुए, डॉ. महेंद्र नाथ पांडे ने कहा, “हमारा देश एक विविध कुशल पारिस्थितिकी तंत्र को पूरा करता है जो प्रमुख हितधारकों, और संगठनों द्वारा समर्थित है। इसलिए, एक जीवंत नीति ढाँचा होना आवश्यक है जो कि कौशल नेटवर्क में सुधार और महत्वपूर्ण परिवर्तनों को प्रोत्साहित करे। मैं गुणवत्ता आश्वासन और योग्यता के लिए जिम्मेदार नियामक – एनसीवीईटी को औपचारिक रूप देने से प्रसन्न हूं। कौशल संस्थानों के प्रबंधन के दिशा निर्देशों में रेखांकित नवाचार और रचनात्मक उपकरण एक विनियमित शासन प्रणाली तैयार करेंगे। मैं एनसीवीईटी को उनके ठोस प्रयासों के लिए और इन दिशा निर्देशों को डिज़ाइन करने के लिए परामर्श के विस्तृत दौर के लिए बधाई देता हूं।”
डॉ. पांडे ने कहा, “हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में प्रासंगिक बने रहने के लिए, कौशल, पुन: कौशल और कौशल उन्नयन प्रमुख हैं।” इस गतिशील और परिणाम केंद्रित दस्तावेज़ के साथ, हम अल्पावधि और दीर्घावधि कौशल, दोनों प्रयासों में सकारात्मक सुधार लाने में सक्षम होंगे और निकायों के विनियमन को मजबूत करेंगे जो पूरे कार्य क्षेत्र में एक कुशल उम्मीदवार को प्रमाणित करेंगे। पिछले पांच वर्षों के दौरान लगभग 5.5 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने के साथ एक कुशल प्रतिमान पहले ही प्रस्तुत किया जा चुका है। ये सुधार आगे चलकर कौशल क्षेत्र में महत्वपूर्ण रूप से परिवर्तनकारी साबित होंगे।”
भारत का विविध कौशल पारिस्थितिकी तंत्र विभिन्न क्षेत्रों में कौशल के कई स्तरों को पूरा करता है। इसलिए समय की आवश्यकता के अनुसार एक गतिशील मजबूत रणनीति ढाँचे की ज़रूरत है जो एक विशाल स्तर पर सुधार को प्रोत्साहित कर सके। आज जारी किए गए दिशा-निर्देश सुशासन के दृष्टिकोण के साथ कई प्रमुख हितधारकों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। तैयार किए गए दिशा-निर्देश मौजूदा उम्मीदवारों को ध्यान में रखते हुए प्रगतिशील बदलावों को शामिल करते हैं जो हर उम्मीदवार के कौशल विकास के लिए आवश्यक हैं।
इस अवसर पर, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय सचिव और राष्ट्रीय कौशल शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद के अध्यक्ष, श्री प्रवीण कुमार, एनसीवीईटी की कार्यकारी सदस्य, विनीता अग्रवाल और एमएसडीई की प्रमुख सलाहकार सुनीता सांघी, भी उपस्थित थी।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के बारे में
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय-एमएसडीई का गठन भारत सरकार द्वारा 9 नवंबर, 2014 को कौशल क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया गया था। अपनी स्थापना के बाद से, एमएसडीई ने नीति, रूपरेखा और मानकों को औपचारिक बनाने के संदर्भ में महत्वपूर्ण पहल और सुधार किए हैं। इनमें नए कार्यक्रमों और योजनाओं का शुभारंभ; नए बुनियादी ढांचे का निर्माण और मौजूदा संस्थानों का उन्नयन; राज्यों के साथ भागीदारी; उद्योगों के साथ संलग्न करना और कौशल के लिए सामाजिक स्वीकृति और आकांक्षाओं का निर्माण करना शामिल है। मंत्रालय का लक्ष्य केवल मौजूदा नौकरियों के लिए ही नहीं, बल्कि उन नौकरियों के लिए भी नए कौशल और नवाचार का निर्माण कर कौशल जनशक्ति की मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को पाटना है। अब तक, कौशल भारत के तहत तीन करोड़ से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। अपने प्रमुख कार्यक्रम, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 2016-2020 के तहत मंत्रालय ने अब तक 92 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है।
राष्ट्रीय कौशल शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी)
राष्ट्रीय कौशल शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) को 5 दिसंबर 2018 को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) द्वारा अधिसूचित किया गया था। एनसीवीईटी एक अति महत्वपूर्ण कौशल नियामक के रूप में कार्य करता है जो लंबी और छोटी अवधि के व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में लगे संस्थानों के कामकाज को नियंत्रित करता है। परिषद ऐसी संस्थाओं के कामकाज के लिए न्यूनतम मानक भी स्थापित करती है। दिशा निर्देशों और परिचालन नियमावली पुस्तिकाओं को तैयार करने में एनसीवीईटी के ईमानदार प्रयासों के साथ, देश का कौशल पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न हितधारकों की ज़रूरतों को पूरा करने वाले मजबूत नियमों का साक्षी बनेगा। एनसीवीईटी द्वारा विकसित समान प्रमाण पत्र प्रारूप भी सही दिशा में एक कदम है और अपेक्षित आवश्यक सुधार है। इससे कौशल क्षेत्र में न केवल एकरूपता आयेगी बल्कि प्रमाणीकरण की प्रामाणिकता में भी वृद्धि होगी।