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प्रशांत किशोर का बाजारवाद बनाम स्वतंत्रता सेनानियों का लोकतंत्र

इस देश का लोकतंत्र बाजार का हिस्सा बन रहा है

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
प्रशांत किशोर ने पहले भारतीय जनता पार्टी के लिए काम किया, जिसके कारण वो प्रसिद्ध हो गये । फिर इनकी सेवाऐ जदयू ने ली । उन्होंने नीतिश कुमार को मोदी जी की तरह सत्ताशीन किया । नीतीश कुमार ने उन्हे अपनी पार्टी का महत्व पूर्ण पद देते हुए उन्हे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया । मूलतः प्रशांत किशोर कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि के नही है, वो सिर्फ एक सलाहकार है । अब सुनने मे आ रहा है कि अब वो तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनाव के लिए प्लान बनाने वाले है । कुल मिलाकर अब इस देश का लोकतंत्र बाजार का हिस्सा बन रहा है । कितने दुर्भाग्य की बात है बाजार जैसा चाहेगा वो सत्ता मे बैठेगा । इसका मतलब साफ हो गया कि जिस दल के लिए प्रशांत किशोर उपलब्ध होंगे उनकी सरकार बनेगी मतलब साफ है जो दल प्रशांत किशोर को मुह मांगी रकम देगा ये बंदा उसके लिए काम करेगा । विडंबना ऐसी की इसे न सिद्धांत से मतलब, न नेताओ से मतलब। इसे मतलब है तो नोटो से, जिसके लिए ये काम करते है । बात यहाँ तक भी है तो ठीक है पर एक पढे लिखे आदमी से और ऐसे जिम्मेदार व्यक्ति से तो यह उम्मीद की जा सकती है कि उसके भी नागरिक कर्तव्य है, कम से कम एक बार गंभीरता से देश के बारे मे तो सोचना चाहिए । पर लोग इतने प्रोफेशनल रहते है कि इन्हे देश से भी कोई मतलब नही रहता । इन्हे मतलब रहता है सिर्फ लक्ष्मी से। लोकतंत्र के नाम से नेताओ के मार्केटिंग के चलते हम लोग सिर्फ बाजार का हिस्सा बन रहे है ये ज्यादा दुखद है ।
इस देश का लोकतंत्र इतनी गर्त मे जाऐगा, ये आजादी के दिवानो ने भी नही सोचा होगा । वहीं मेरे को उन नेताओं से भी शिकायत है जिन्होने अपने फायदे के लिए इस देश को बाजार का हिस्सा बना दिया । अभी इतना ही आगे और किसी नए विषय पर ।

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लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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