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जनसंख्या पर नियंत्रण बनाम बाबा रामदेव फार्मूला

जनसंख्या पर नियंत्रण पर राजनीति के ठेकेदारो को क्या लेना देना?

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
सरकार बनी नही कि बाबा रामदेव ने पुनः दुखती रग पर हाथ रख दिया है । निश्चित ही जनसंख्या पर नियंत्रण अब अतिआवश्यक है। चीन जैसे देश कड़े कदम उठाकर इस समस्या से निजात पाना चाहते है । क्योंकि किसी भी देश के विकास मे यह समस्या सबसे ज्यादा बाधक है। हमारे पूरे संसाधन इसमें ही खत्म हो जाते है। ऐसा भी नही, परिवार नियोजन पर करीब करीब सभी सरकारो ने ध्यान दिया है । परिवार नियोजन मे प्रोत्साहन राशि भी दी गई है । वही इसके माध्यम से ग्रीन कार्ड धारकों को शासकीय सुविधा भी दी गई है। इसके बाद भी इस कार्यक्रम पर उदासीनता साफ झलकती है । इस तरह के पुनीत कार्यक्रम मे अपनी तुच्छ राजनीति करने से भी लोग बाज नही आये । इसका परिणाम यह हुआ कि यह राष्ट्रीय कार्यक्रम राजनीति का शिकार हो गया । अपने राजनीतिक लाभ के लिए देश के साथ भी लोग गद्दारी करते है तो सिर्फ अफसोस करने के सिवाय कर भी क्या सकते है ? परिवार नियोजन कार्यक्रम मे अति उत्साहित कार्यकर्ताओ ने जोर जबरदस्ती कर इसको बहुत नुकसान पहुंचाया । वही टार्गेट के चक्कर मे परिवार नियोजन के आप्रेशन मे छोटे-छोटे मानवीय भूल के कारण बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है । पुनः मुद्दे पर, इस राष्ट्रीय कार्यक्रम मे धर्म की ऐंट्री कैसे हो गई ये समझ से परे है । क्या हिंदू धर्म मे अष्ट पुत्राःभव पहले शत पुत्राःभव का आशीर्वाद नहीं दिया जाता था? समय बदला, समाज बदला, परिस्थिति बदली, इसे लोगो ने स्वीकारा । आज भी बगैर किसी मोटिवेशन के लोग इसे अपना कर्तव्य समझते है । वही दूसरे ओर इसे धर्म से जोड़ दिया जाता है । इसलिए इस कार्यक्रम की असफलता का असर दैनिक जीवन मे भी पडने लगता है । इसकी कमी आगे चलकर परिवार भी महसूस करने लगता है । वो संसाधन जो छोटे परिवार के पास रहते उसकी कमी साफ दिखाई देने लगती है । इससे बच्चो के परवरिश पर असर पड़ता है, जिसके कारण उस बच्चे पर भी मानसिक प्रभाव पड़ता है । इसलिए राष्ट्रीय कार्यक्रम मे शासन की भी सख्ती जरूरी है । शिक्षा स्वास्थ्य दोनो तब ही सफल होते है जब परिवार भी छोटा हो । इस तरह के प्रगतिशील विचार और उसके काय॔क्रम को पूर्ण सफल बनाने मे सरकार से ज्यादा समाज व परिवार की भूमिका ज्यादा सामयिक है । इस तरह के कार्यक्रम मे उदासीनता जैसे शब्दो की कोई जगह नही है । अगर इसके बाद भी इस तरह के आयोजन मे कोई सहयोग नही देता तो उसे मिलने वाली शासकीय सुविधा से वंचित किया जाना चाहिए । किसी भी धर्म मे जन्म को राष्ट्रीयता से पहले जोड़ना चाहिए । बाद मे धर्म आना चाहिए । कम से कम इस देश का नागरिक पहले भारतीय है बाद मे कुछ और । वहीं यहां के संसाधन मे भी सबका बराबर का हक है । इसके बाद भी धर्मनिरपेक्षता के नाम से इस तरह के घृणित खेल को उजागर होना चाहिए । देश से ज्यादा वो मासूम ज्यादा सफर करता है, क्योंकि उसका बचपन ही छिन जाता है।कम से कम इस कार्यक्रम की सफलता की जिम्मेदारी धर्म के उठकर है इस पर राजनीति के ठेकेदारो को उससे क्या लेना देना? इस पर बाबा रामदेव कहाँ गलत है?

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लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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