Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आरक्षण का मकड़ जाल ऐसा है कि राजनीति जहां ज्यादा से ज्यादा उलझ रही है वहीं राजनैतिक दल इस जाल से बाहर आने मे अपने को असमर्थ पा रहे है । आज तो लगता है कि यह देश बगैर आरक्षण का चल नही सकता । पूरा खेल अपने राजनीतिक फायदे के लिए है । इस देश ने पोलियो से मुक्ति पा ली, पर आरक्षण से मुक्ति पाना कठिन है । दुर्भाग्य यह है कि लोग इससे बाहर आना भी नही चाहते ।
जिस देश मे राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद के लिए जात, धर्म, दलित जैसे कार्ड खेले जाये, तो दुख के साथ निराशा भी होती है । कोई यह तो कहता मैं योग्य हूँ और भारतीय हूँ इसलिए मुझे टिकट दिया जाए, पर अधिकतर लोग ऐसा न कर आरक्षण वाला रास्ता अपनाते है । यही कारण है ये सियासतदानो ने अपनी सियासत के चलते जहा देश को काफी क्षति पहुंचाई वही दूसरे ओर मेघावी छात्रो के साथ अन्याय व नाइंसाफी भी की है । जिन मराठो ने पूरे महाराष्ट्र मे राज किया वही महाराष्ट्र मे फणडनवीस के पहले सभी मुख्यमंत्री करीब करीब मराठा ही थे । फिर ऐसे स्थिति मे पूर्व मुख्यमंत्रियो ने अपने समाज के लिए कुछ नही किया । इससे ज्यादा दुखद स्थिति क्या हो सकती है । फिर राज्य के लिए क्या किये होंगे भगवान् ही मालिक है ।
जब तक ये लोग सत्ता मे थे तो इस आरक्षण की बात नही हुई, पर सत्ता से बाहर होते ही इतना बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया । समाज क्यो इनकी राजनीति का हिस्सा बनता है? क्यो नही पूछता कि हमारी हालात ऐसे क्यो की ? यही स्थिति कमोबेश मुस्लिम समाज की है। पांच सौ साल राज करने के बाद भी इनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर क्यो है ? कुल मिलाकर सत्ता मे कोई भी रहे, समाज का ये तबका लाभांवित नही होता । वैसे भी सरकारी नौकरियां कम है फिर यह आरक्षण भी कितना लाभ दे पाएगा । क्यो नही क्रीमी लेयर पर एक मत हुआ जाता । एक बार इसका लाभ लेने के बाद उस परिवार को हटा देना चाहिए, जिससे दूसरो को मौका मिले । पर ऐसा न होकर सात दशक से वही वर्ग लाभान्वित हो रहा है ।
दूसरे तरफ इसके खिलाफ लोगो मे रोष है । योग्यता होने के बाद भी दरकिनार हो रहे है । उल्लेखनीय है सन 74 – 75 मे इसके खिलाफ गुजरात मे बहुत बडा आंदोलन भी हुआ था । सामान्य छात्र को यह समझ मे नही आ रहा है कि हमारे पूर्वजो की गलती की सजा हमसे क्यो ली जा रही है ? अब इस संवेदनशील मुद्दे पर भी ध्यान देना होगा । हालात तो ये हो गये है कि आने वाले दिनो मे कही सौ प्रतिशत आरक्षण न हो जाए । सरकार को आरक्षण के मकड़जाल का समाधान ढूंढना होगा ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)