सामाजिक सरोकार बनाम राजनैतिक भ्रष्टाचार
एक बार सत्ता मे आओ सात पीढ़ीयो के लिए कमा लो और अपना राजतंत्र स्थापित कर लो।
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh: देश में चुनाव का मतलब सीधा सीधा सत्ता पर काबिज होना ही है । पर कोई भी नेता हो या दल, मजबूत विपक्ष की बात भी नही करता है। होना तो ये चाहिए कि अगर मजबूत विपक्ष है तो अच्छे सरकार की नाक मे भी दम कर सकते है। पर आज तो उल्टा है, राजनीति मे चुनाव लड़ना है तो हमे सरकार ही बनानी है। यही कारण है मजबूरी मे अल्प मत वाली सरकार और प्रधानमंत्री का भी दौर इसने देखा है । यही कारण 542 लोकसभा के कुल सीट मे मुश्किल से तीस सीटपर भी चुनाव लड़ने वाले नेता और दल आज प्रधानमंत्री बनने की रेस मे आगे है, अगर पूरी सीट भी जीत दर्ज करते है तो पूर्ण लोकसभा का सिर्फ छह प्रतिशत ही होता है। विपक्ष के दमदार नेताओ से हमारा राजनैतिक इतिहास भरा हुआ है । इनसे क्यो नही प्रेरणा नही ली जाती ? पहले राजनीति सामाजिक सरोकार से भरी हुई रहती थी, पर अब मूल उद्देश्य ही बदल गया है । एक बार सत्ता मे आओ सात पीढ़ीयो के लिए कमा लो और अपना राजतंत्र स्थापित कर लो। जो बाद मे पुश्तैनी धंधा मे बदल जाता है । वही विपक्ष की राजनीति के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है । अगर किसी पर भ्रष्टाचार के खिलाफ आरोप है तो उन्हे आरोप प्रमाणित करने के लिए सबूत लाने पड़ते है । जनता शासन से क्यो खफा है उसके बारे मे सविस्तार जाना पड़ता है । वही शासकीय कार्य मे कहाँ अनियमितता है जब तक नेता फील्ड मे नही जाता तब तक उसे कहां पता चलेगा? कर्मचारी क्यो नही सरकारी कार्य को अमल में ला रहे है या जनता के साथ उनका व्यवहार अच्छा नही है तो जनता को न्याय इन्ही के माध्यम से मिलता है । पहले हालात ऐसे थे कि लोग मंत्रीयो के नाम एक बार भले नही जानते थे पर विपक्ष के नेताओ के नाम जरूर जानते थे । उनकी सभा भरी हुई रहती थी, वहीं मुद्दो की कोई कमी नही रहती थी । मैं देश के विपक्ष के उन नाम का उल्लेख करू जिनके संबोधन शुरू होने के पहले ही सत्ता पक्ष मे पसीने छूट जाते थे । स्व बलराज मधोक ,स्व.दीनदयालउपाध्याय , स्व.मधुमेहता , स्व.मधु दंडवते , स्व.मधु लिमये , स्व.श्यामापसाद मुखर्जी , स्व.जगन्नाथराव जोशी, स्व.अटलबिहारी वाजपेयी , स्व.मीनू मसानी ,स्व. पीलू मेहता , स्व. श्रीमती तारकेश्वरी सिन्हा , स्व. राममनोहर लोहिया , स्व. श्रीपाद अमृत डांगे , स्व. जार्ज फर्नांडीज , स्व. सोमनाथ चटर्जी , श्री लालकृष्ण आडवाणी जी , स्व.फिरोज गांधी, स्व. प्रकाश शास्त्री नाम है जिन्होने सत्ता पर नकेल कस कर रखी हुई थी । कांग्रेस मजबूत थी इसके बाद भी ये लोग अपने तर्क के माध्यम से निरूत्तर बना देते थे । आज भाजपा सत्ता मे है तो सशक्त विपक्ष ने ही आज उन्हे यहां काबिज किया है । जिस दिन ये सत्ता के बदले अपनी विपक्ष की भूमिका को सशक्त होकर निभाएंगे उस दिन ही ये सत्ता का विकल्प बनेंगे । पर सत्ता के लोभ मे अपनी विश्वसनीयता खो रहे है । पर सबकी मजबूरी ही है कि अगर सत्ता मे नही आये तो “राज” खुल जायेगा, जिसका भय बना हुआ है । वही मोदी जी की छवि और डरा रही है। चाहे तो ये भी यही काम विपक्ष मे बने रह कर कर सकते है।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)