राही की फुलझड़ी – जब नेतापुत्र को कविता लिखने का शौक चर्राया
मैं "भारत तेरे टुकड़े होंगे" कहने वालों के पास नहीं जा पाऊँगा।
Positive India: Rajesh Jain Rahi:
एक नेता जी का मन, अपने बेटे का रुझान, कविता लेखन की ओर देखकर घबराया।
पास बुला कर बड़े प्यार से समझाया- पुत्र हमने तुम्हें बेहद नाजों से पाला है,
हमारी विरासत का, तू ही तो रखवाला है।
अच्छे स्कूल में तुझे पढ़ाया है,
बड़े कॉलेज में तेरा नाम लिखवाया है,
संसद, विधानसभा,मंत्रालय हर जगह तुझे घुमाया है।
आजकल तुझे यह कविता लिखने का क्या शौक चर्राया है?
किसने तुझे छला, किसने तुझे भटकाया है?
पुत्र ने संजीदा होकर जवाब दिया-
फिक्र न करें बाबूजी, अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊँगा।
मगर मैं “भारत तेरे टुकड़े होंगे” कहने वालों के पास नहीं जा पाऊँगा।
वीर सैनिकों की गाथा को झूठ नहीं बतलाऊँगा।
कुर्सी की खातिर मैं भ्रष्टाचारियों को भी गले नहीं लगाऊँगा।
वीर भगत की गाथा दिल में, दिनकर को पढ़ता आया,
राज सिंहासन जिसके नीचे भाव मेरे रौंदे जाएं,
माफ करें मुझको, जोड़-तोड़
आकंठ स्वार्थ में डूबा,
नेता नहीं बनाएँ।
लेखक:राजेश जैन राही, रायपुर