Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
कल सबेरे जब लोगो ने न्यूज के लिये टीवी देखा होगा, तब तक हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी वहां पहुंच चुके थे । प्रधानमन्त्री के अचानक कार्यक्रम के विश्लेषकों द्वारा कई मायने निकालें जा रहे हैं । यह दौरा ऐतिहासिक दौरा था । सबसे पहले तो हमारे सैनिकों मे उत्साह का संचार हुआ है । सैनिक अपने देश के प्रधानमंत्री को पाकर जहां अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे, वहीं वे खुशी से फूले नहीं समा रहे थे । प्रधानमन्त्री ने वहां सैनिकों को संबोधित करते हुए यह अहसास भी करा दिया कि पूरा देश उनके शौर्य के साथ खड़ा है । प्रधानमंत्री उन सैनिकों से भी मिले, जो चीन के साथ के झड़प मे घायल हुए थे, उन सैनिकों से सैन्य अस्पताल मे जाकर मिले । वहां पर भी उनके कुशल क्षेम पूछने के बाद उन्हे भी संबोधित किया ।
दूसरी तरफ इस दौरे से देश वासियों को भी संदेश गया कि सरकार आज की हालत मे काफी सतर्क है । प्रधानमन्त्री ने उदबोधन में साफ साफ यह कह दिया कि पूरा लेह लद्दाख हमारा है और वहां से हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे । यह संकल्प सुनने के लिए पूरा देश प्रतीक्षा में था । वहीं से एक दूसरा संदेश विपक्ष को भी गया, जो आये दिन सरकार को लद्दाख के मामले में घेरते रहती है ।
पर मुझको अभी भी संशय है कि विपक्ष इससे संतुष्ट होगा । ऐसे मे फिर राजनीति कैसे चलेगी ? प्रधानमंत्री ने सुबह के इस दौरे से पश्चिमी देशों को भी अपने प्रण से अवगत करा दिया । इस मामले में बहुत सारे देश भारत के समर्थन में खुलकर साथ खड़े है । प्रधानमन्त्री के उदबोधन से यह देश भी जुड़ गये हैं । आज समाचारो मे भी दिखा कि न्यूयार्क के लोग भी भारत के समर्थन में खुलकर साथ खड़े है। वे बायकाट चीन का भी नारा लग रहे थे । यहां से एक बड़ा संदेश चीन को भी गया है । प्रधानमन्त्री मोदी ने अपने इरादे साफ कर दिये है । इसलिए चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री के दौरे पर टिप्पणी करते हुए वार्ता के लिए टेबल पर आने की बात कर रहे है । कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि प्रधानमंत्री ने इस दौरे ने एक तीर से कई निशाने साध लिए है । मुख्य रूप से प्रधान मंत्री ने बिना चीन का नाम लिए उसे भारत के रूख से अच्छे से अवगत करा दिया है ।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस देश के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों और कुछ विपक्षी दलों को भी अपने स्टैंड से परिचित करा दिया । पिछले 72 साल बाद मोदी जैसे सशक्त शासक से चीन को पाला पड़ा है । यही कारण है कि बार बार बात के लिए मेज पर आना उसकी मजबूरी है । मोदी जी के विदेश नीति ने वैश्विक स्तर पर चीन को अलग थलग कर दिया है । उसका एक ही दोस्त है पाकिस्तान, जो खुद उस पर ही आश्रित हैं । उसका नया नवेला मित्र नेपाल भी खुद अस्थिर है तो वो चीन को क्या सहयोग देगा। भारत की कूटनीति व रणनीति की वजह से चीन बुरी तरह से फंसा हुआ है। इसके बावजूद कुछ विपक्षी पार्टियां तथा वामपंथी विचारधारा के हिमायती अभी भी चीन के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं, जो दुर्भाग्य पूर्ण है । बस इतना ही ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर