पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की हैसियत में नहीं हैं नरेंद्र मोदी
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India: Dayanand Pandey:
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन के कयास लगाने वाले लगा रहे हैं। क्यों कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल दिल्ली पहुंचे हैं। मेरा मानना है कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की हैसियत में नहीं हैं नरेंद्र मोदी। क्यों कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी लेफ्ट की मदद से जो आग लगाएंगी , उसे सेना , केंद्रीय पुलिस बल सब के सब मिल कर बुझा नहीं पाएंगे। न दंगे संभाल पाएंगे। ममता बनर्जी ने बांग्लादेशी और रोहिंगिया को दंगा प्रशिक्षित कर दिया है। भारत – पाकिस्तान विभाजन के समय में भी पश्चिम बंगाल जिस तरह जला था , लोग भूले नहीं हैं।
डायरेक्ट एक्शन आज भी पश्चिम बंगाल के लोगों को याद है। डायरेक्ट एक्शन जिन्ना का फरमान था। डायरेक्ट एक्शन मतलब हिंदुओं को देखते ही मारो। बांग्लादेश में जिस तरह हिंदुओं पर हमले अभी भी जारी हैं , मंदिरों और स्त्रियों पर लूट – पाट , अत्याचार और बलात्कार अभी भी थमा नहीं है। सोचिए कि बांग्लादेश में आंदोलन आरक्षण को ले कर हो रहा था। पर परिणति क्या हुई ? हिंदू स्त्रियों के साथ बलात्कार , सामूहिक बलात्कार। मंदिरों की तोड़ – फोड़। हिंदुओं के घर दुकान लूटे गए। जलाए गए।
पश्चिम बंगाल में मुस्लिम बांग्लादेश से भी ज़्यादा उग्र और हिंसक हैं। जिन की लगाम ममता बनर्जी और लेफ्ट के हाथ है। समूचे देश में खड़े मिनी पाकिस्तान भी इन के समर्थन में खुल कर आ जाएंगे। नहीं पश्चिम बंगाल , पंजाब और केरल और दिल्ली चारो ही प्रदेश राष्ट्रपति शासन मांगते हैं। पश्चिम बंगाल इस में नंबर एक पर है। बीते कई सालों से पश्चिम बंगाल में क़ानून व्यवस्था ठेंगे पर है। पर डरपोक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैसियत नहीं है कि राष्ट्रपति शासन लगाने की सोच भी सकें। और कि देश हित में भी यही है। नहीं देश में दंगाइयों का क्या है , नागरिकता देने वाले क़ानून सी ए ए को ले कर भी देश में दंगे फैला देते हैं। शहर-शहर शाहीन बाग़ बसा लेते हैं।
देखना दिलचस्प होगा कि स्वत: संज्ञान लेने वाला सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल पर क्या रुख़ अख़्तियार करता है कल। क्यों कि पश्चिम बंगाल तो मुस्लिम सांप्रदायिकता के एटम बम पर बैठा हुआ है।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)