Positive India:Satish Chandra Mishra:
शरद पवार शायद होश में नहीं है…
अंतर्राष्ट्रीय वेश्याओं मियां खलीफा, रिहाना और अंतर्राष्ट्रीय दलाल थनबर्ग के भारत विरोधी अभियान के खिलाफ सचिन तेंदुलकर के ट्वीट पर पता नहीं क्यों शरद पवार बहुत आगबबूला हो गया है.?
कल शरद पवार ने कहा कि “सचिन तेंदुलकर को किसानों के बारे में बोलने के दौरान काफी सावधानी बरतनी चाहिए।” शरद पवार ने यह भी कहा कि ‘मैं सचिन तेंदुलकर को सुझाव दूंगा कि उन्हें अन्य क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर बयान देने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।”
सचिन तेंदुलकर को दी गयी शरद पवार की उपरोक्त नसीहत पढ़कर मुझे ध्यान आया कि देश के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक तथा 1983 से 1986, लगातार 4 वर्षों तक ICC की वर्ल्ड रैंकिंग मेँ दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज रहे दिलीप वेंगसरकर ने 2011 में जब मुम्बई क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनने के लिए चुनाव लड़ा था तो उस समय शरद पवार ने दिलीप वेंगसरकर के खिलाफ महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को चुनाव में खड़ा कर के दिलीप वेंगसरकर के खिलाफ अपनी पूरी ताक़त झोंक दी थी। परिणामस्वरूप दिलीप वेंगसरकर के बजाय विलासराव देशमुख को मुम्बई क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया था।
2015 में दिलीप वेंगसरकर ने जब दोबारा चुनाव लड़ना चाहा तो उनके खिलाफ शरद पवार ने खुद चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोंक दी थी और वेंगसरकर को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करा के शरद पवार को बिना चुनाव के ही निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया गया था।
शरद पवार क्या देश को बताएगा कि क्रिकेट दिलीप वेंगसरकर का क्षेत्र था या उसका और विलास देशमुख का क्षेत्र था.?
उपरोक्त सवाल केवल इसलिए ताकि जिस कसौटी के अनुसार शरद पवार ने कल सचिन तेंदुलकर को नसीहत दी उसी कसौटी के आधार पर शरद पवार के ढोंग पाखण्ड और धूर्तता की धज्जियां उड़ जाएं।
लेकिन सबसे गम्भीर और संवेदनशील सवाल यह है कि सचिन तेंदुलकर के बयान कि “भारत की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता. बाहरी ताकत दर्शक हो सकते हैं, लेकिन भागीदार नहीं.” में किसानों का तो कोई जिक्र तक नहीं है। इस बयान में ऐसा क्या है जो शरद पवार इतनी बुरी तरह तिलमिला गया.?
शरद पवार शायद भूल गया है कि वो इस देश का रक्षामंत्री रह चुका है जिसका प्रथम दायित्व कर्तव्य देश की सम्प्रभुता को अक्षुण्ण रखना ही है। सचिन तेंदुलकर ने भी अपने बयान में भारत की सम्प्रभुता को अक्षुण्ण रखने की बात को ही कहा है। इस पर शरद पवार इतना आगबबूला क्यों हो गया.? इसीलिए अपनी इस पोस्ट की शुरूआत मैंने यह लिखते हुए की है कि… शरद पवार शायद होश में नहीं है…😊
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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