पहले झंडा वंदन फिर रक्षाबंधन
Happy Independence Day & Happy Rakhi
Positive India:Gajendra Sahu:
जब भी कभी दो त्योहार एक ही दिन पर आते है तो स्कूली व महाविद्यालय में अध्यनरत छात्रों को कितनी पीड़ा होती है इस बारे में बताने की ज़रूरत नहीं है, क्यूँकि हम भी उस दौर से वाक़िफ़ हो चुके है ।
अब सवाल ये है कि लोगों के सामने २ त्योहार एक साथ दस्तक दे रहे है तो क्या ये ऑप्शनल होंगे। कहने का मतलब लोग किसे ज़्यादा महत्वता देंगे।
राखी और आज़ादी दोनो ही रक्षा से जुड़ी बातें है । जब इनका ज़िक्र होता है तो महानता का परिदृश्य आँखो पर तैरने लगता है । एक तरफ़ भाई-बहन का अटूट प्यार और दूसरी तरफ़ देश के प्रति अटूट प्रेम है।
सवाल मन में उठने का कारण सीधे तौर पर इसलिए है क्यूँकि अब देशभक्ति केवल दो दिन की मोहताज हो चुकी है । ऐसे में उस दिन हिंदू त्योहार और भारतवर्ष के त्योहार का समायोजन एक-दूसरे को कितना प्रभावित करेंगे ।
हम में से कुछ लोग ऐसे भी है जो राखी के त्योहार को मनाने के लिए मीलों की दूरी तय करते है । साल में एक दिन तो बहनो के लिए होता है जिसे वे अपने हक की भाँति मनाती है ।
जो सरकारी नौकरी में है , स्कूल , हॉस्पिटल में कार्यरत है, उन्हें तो स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रुकना ही होगा । क्यूँकि उनका रुकना किसी काग़ज़ के आदेश क्रमांक में पंजीकृत होगा ।
प्राइवेट नौकरी , दुकानदार , व्यापारी वर्ग , आम आदमी इसे एच्छिक रूप से ले सकते है, चाहे रक्षाबंधन मनाए या स्वतंत्रता दिवस या दोनो ।
पर मैं इस बात पर अडिग हूँ कि लोग सुबह से रक्षाबंधन की तैयारी में जुटेंगे ।
मुझे लगता है कि *पहले झंडा वंदन फिर रक्षाबंधन* ही हो । आज़ादी के ७० साल बाद भी यदि हमें देशभक्ति के साथ समझौता करना पड़े तो धिक्कार है ऐसी देशभक्ति पर ।
आज हम भारतवर्ष में अनेक धर्म ,जाति, समुदाय के लोगों का त्योहार आसानी से मना पाते है इसका श्रेय उन हज़ारों , लाखों लोगों की कुरबानी को देना होगा जिन्होंने भारत की आज़ादी में अपना अहम योगदान दिया और अपने प्राणो को आने वाले भविष्य के लिए न्योछावर कर दिया ।
साथ ही साथ उन सैनिक को भी नमन जो सीमा पर मौत से लड़कर हमें सुकून से इस त्योहार को मनाने का अवसर देते है ।
झंडा वंदन का मतलब केवल ३ रंगो के कपड़े को फहराना नहीं बल्कि हमें हमारे देश के प्रति सच्ची निष्ठा , एकरूपता और पूरे भारत की अखंडता को प्रदर्शित करता है । तिरंगा झंडा के नीचे सभी धर्म , जाति , नेता-जनता , ग़रीब-आमिर सब एक है ।
झंडा फहराना और उसका सम्मान करना हमारा कर्तव्य ही नहीं अपितु फ़र्ज़ भी है कि हमें अपने पूर्वजों के जान के बदले में मिली आज़ादी और सीमा की रक्षा में तैनात कई सैनिक भाइयों का सम्मान हर क़ीमत पर करना चाहिए ।
आज हर बहन अपने भाइयों के कलाई में राखी बाँधती है । हम घर में पटाखे फोड़ते है । रंग-गुलाल खेलते है । सेंवई खाते है । इन सबका श्रेय देने से ही कुछ नहीं होगा उनके प्रति सम्मान को भी प्रदर्शित करना होगा ।
मेरा आप सभी से निवेदन है कि अपने आस-पास जहाँ झंडा वंदन हो आप जरुर जाए और झंडा वंदन में शामिल होकर भारत के सबसे बड़े त्योहार का हिस्सा बने । राखी का मुहूर्त १ हफ़्ते तक होता है ,राखी तो बाद में भी मनाई जा सकती है । पर ये जो देशभक्ति के २ दिन है वो फिर नहीं आएँगे।
जय हिंद , जय भारत
लेखक:गजेन्द्र साहू(ये लेखक के अपने विचार हैं)