Positive India:Rajesh Jain Rahi:
छिन्न-भिन्न अरमान हो गए,
छुपा हुआ मय का प्याला।
सिसक रहा है घर के भीतर,
हर सच्चा पीने वाला।
कोरोना के किस्से सुनकर,
बंद हुए बाजार सभी।
कोरोना के भय से बेबस,
आज हुई है मधुशाला।
**
मतवाले भी कैद हुए हैं,
कैद हुआ महका प्याला।
साथी नहीं बुलाते घर पर,
छुपा रखी सबने हाला।
कोरोना के डर से साकी,
छूने से कतराती है।
भीतर नहीं बुलाती मुझको,
मेरी प्यारी मधुशाला।
**
खाली महफिल मतवालों की,
खाली-खाली है प्याला।
खाली गलियाँ खाली सड़कें,
खाली बैठा दिलवाला।
खाली-पीली कोरोना ने,
खाली सबको कर डाला।
खाली-खाली घर पर हूँ मैं,
खाली-खाली मधुशाला।
**
पहरे में है आना-जाना,
पहरे में मैं मतवाला।
पहरे में है प्रेम-निवेदन,
पहरे में है दिलवाला।
पहरे में हैं बाग-बगीचे,
पहरा करती कोरोना।
पहरे में हैं पीनेवाले,
पहरे में है मधुशाला।
**
एक छुअन पर पाबंदी है,
एक पैग पर भी ताला।
एक-एक साथी घर पर है,
एक अकेला मतवाला।
एक भूत है कोरोना का,
एक सूचना भारी है।
एक ओर है दुनिया सारी,
एक ओर है मधुशाला।
लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर
🙏Take Care of CORONA
Stay at home…