www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

पढ़-लिख कर भी कट्टर भए !

-दयानंद पांडेय की कलम से-

Ad 1

Positive India: Dayanand Pandey:
लोग ख़ूब पढ़-लिख कर भी धार्मिक रूप से इतना कट्टर कैसे हो जाते हैं भला। अशोक सिंघल बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से 1950 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई किए हुए विश्व हिंदू परिषद का काम देखने लगेंगे और राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करेंगे कौन जानता था । एक समय विश्व हिंदू परिषद का ही काम देखने वाले कैंसर के डाक्टर प्रवीण तोगड़िया एक समय समाज के लिए कैंसर बन जाएंगे यह भी कौन जानता था । अब तो वह विश्व हिंदू परिषद के लिए भी भस्मासुर बन चुके हैं । गुजरात में हार्दिक पटेल जैसे जहरीले , जातिवादी नेता की विषवेल को उगाने के लिए प्रवीण तोगड़िया को जाना गया ।

Gatiman Ad Inside News Ad

ऐसे ही विदेश सेवा में रहे सैय्यद शहाबुद्दीन जो बिहार से सांसद भी रहे , कौन जानता था कि इतना पढ़ा-लिखा व्यक्ति बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का जहरीला नेता बन जाएगा । ऐसे ही डिप्लोमेट रहे हामिद अंसारी जो दस साल तक उपराष्ट्रपति भी रहे , कौन जानता था कि दस साल तक संवैधानिक पद पर रहने के बाद भी इतना दकियानूस और तंगदिल निकलेगा कि देश में खुद को असुरक्षित बताने की जहरीली बात करेगा । और तो और पतन की पराकाष्ठा यह कि यह हामिद अंसारी शरिया अदालत की पैरवी में भी आतुर दिखा । संवैधानिक पद पर रहना , डिप्लोमेट रहना सब ध्वस्त हो गया इस एक नीचता में । और डाक्टर ज़ाकिर नाईक ? कभी चिकित्सक रहे इस व्यक्ति को वहाबी विचारधारा की धार्मिक कट्टरता ने , इस पढ़े-लिखे व्यक्ति को आतंकवादियों की चलती-फिरती फैक्ट्री बना दिया ।

Naryana Health Ad

ऐसे पढ़े-लिखे लोगों ने समाज को कुछ देने के बजाय , समाज में जहर और नफ़रत ही क्यों बोई , कोई बता सकता है भला , बिना हिंदू-मुसलमान हुए । कृपया एक बात और कहने की मुझे अनुमति दीजिए कि माना कि अंगरेजों ने अपने राज में देश पर बहुत जुल्म किया , बहुत लूट-पाट किया । लेकिन उन के आने से यह एक बात तो हुई ही कि धार्मिक इस्लामी कट्टरता में भारत तालिबान बनने से बच गया । अंगरेजों ने एंग्लो इंडियन स्कूल खोल कर , तमाम और भी लोक कल्याणी कार्य किए । मदरसा संस्कृति से निकाल कर विकास और शिक्षा के नए दरवाजे खोले । जब कि मुगलों ने तो सिर्फ़ इस्लाम और अपने परिवार की हिफाज़त के अलावा कुछ और तो नहीं ही किया । किया तो सिर्फ़ विध्वंस किया ।

बल्कि अफगानी शासक शेरशाह सूरी ने ज़रुर तमाम सारे लोक कल्याणकारी कार्य किए हैं । आक्रमणकारी हुमायूं को पराजित कर , ईरान भगा कर शेरशाह सूरी ने भारत को पहला बड़ा इंफास्ट्रक्चर दिया । अपने सात साल के कार्यकाल में ही देश भर में यह सड़कें , सड़कों के किनारे वृक्ष , धर्मशालाएं , डाक व्यवस्था आदि शेरशाह सूरी की देन हैं । असमय अपने ही एक बारूदखाने की विस्फोट में अगर शेरशाह सूरी की मौत न हुई होती तो तय मानिए भारत की तस्वीर आज भी कुछ और होती । आप कहेंगे कि मुगलों ने भी लाल किला , ताजमहल आदि बनवाए हैं । तो माफ़ कीजिए यह सब उन्हों ने अपने और अपने परिवार की हिफाज़त के लिए बनवाए , जनता के लिए नहीं । जनता को इन से क्या मिला भला , सिर्फ घाव और अपमान के ।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.