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गिरफ्तारी के साथ पी चिदंबरम की लुका छिपी का हुआ अन्त

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
दिल्ली उच्चन्यायालय के निर्णय से राजनीतिक हल्को मे तूफान आ गया है । पूर्व गृहमंत्री व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत खारिज हो जाने से ई डी व सीबीआई ने उनके घर ही पहुंच गई । एक पूर्व गृहमंत्री व वित्तमंत्री, कभी उनके अधिकार क्षेत्र मे ईडी आती थी,और गृहमंत्री के रूप मे उनके अंडर मे सीबीआई भी आती थी । आज यही दोनो संस्थान उनके तलाशी के लिए और उन्हे गिरफ्तार करने के लिये दीवार फांद कर अन्ततः उन्हे गिरफ्तार कर ही लिया।

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इस देश का राजनीतिक दुर्भाग्य है कि ऐसे लोग दशकों तक सत्ता मे रहे । इनमे इतना नैतिक साहस तो होना था कि अग्रिम जमानत जाने के पहले स्वंय इन ऐजेंसियो के सामने मे जाकर जांच मे सहयोग करते । जब कोई जांच ऐजेंसियो को सहयोग नही करता है तो शक की सुई घूमने लगती है ।

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एक समय था जब यूपीए की सरकार थी और नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो वो स्वंय होकर सबरे दस बजे से लेकर पांच बजे शाम तक सौ प्रश्न के उत्तर उन्होंने दो दिन तक जाकर दिया । बाद मे उन्हे कोर्ट द्वारा निर्दोष घोषित किया गया । इसे कहते है सांच को आंच क्या।

यूपीए शासन मे नरेंद्र मोदी पर कई आरोप लगे थे । पर मोदी जी पाक साफ थे तो उन्हे किसी बात का डर नही था । कोर्ट में हर मामले मे वे पाक साफ सिद्ध हो गए । वहीं दूसरे तरफ पी चिदंबरम की आज हालत ऐसी है कि जिसके इर्द-गिर्द पूरी सत्ता घूमती थी आज उन्हे भूमिगत होना पड़ा और अन्ततः गिरफ्तार होना पड़ा ।

इस देश का इतना बड़ा सियासतदान और कानूनविद को भागने की नौबत आ गई, इससे साबित होता है कि पी चिदंबरम कसूरवार है। कानून देर से काम करता है, पर करता है। उसके सामने छोटे बड़े, अमीर गरीब, जात पात, सब बराबर है ।

यही कारण है देश के कई पूर्व मुख्यमंत्री व नेता आज भी जेल मे है । भ्रष्टाचार सर चढ़ कर बोलता है और उसके सबूत बाद मे चीख चीख कर सामने आते है । इस समय मीडिया बहुत सशक्त है, इसलिए इस तरह के मामले सामने आने लगे है । ये वही लोग है जिन्होने कभी हिंदू आतंकवाद का हौवा खड़ा किया था और अपने राजनीतिक फायदे के लिए कई निर्दोष लोगो को फसाया था ।

कहते है उपर वाले की लाठी मे आवाज नही होती । समय का खेल देखो, अब वो अपनी खाल बचाने के लिए मारे मारे भाग रहा है और अब तो गिरफ्तार भी हो चुका है । इससे ज्यादा दुर्भाग्य जनक स्थिति क्या हो सकती है । एक कहावत है बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाऐगी ? वही एक कहावत और भी है कि सत्ता के समय आगे पुलिस रहती है और हटने के बाद पीछे पुलिस रहती है । इतना जरूर है बुरे काम का अंत बुरा ही होता है ।

लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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