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सफलता में भी असफलता के पड़ाव का पहाड़ा

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
किसी बड़ी वैज्ञानिक सफलता में भी असफलता के पड़ाव का पहाड़ा पढ़ना किसी नपुंसक और विफल विपक्ष ही के वश का है। मानवरहित चंद्रयान के यात्रियों को बधाई देने वाला यह विपक्ष लांचिंग और लैंडिंग का फ़र्क़ भी भूल जाता है। नीतीश कुमार जैसे इंजीनियरिंग की डिग्री वाले मुख्य मंत्री तो इस घटना से ही अनभिज्ञ हो जाते हैं। तो एक प्रवक्ता नासा को बधाई दे देता है। खिसियाया और नपुंसक विपक्ष फिर भी इंडिया नाम के नीचे मानता है।

आख़िर यह कौन सा इंडिया है जो भारत की सफलता में घुन बन कर बारंबार उपस्थित होने के लिए अभिशप्त है। कांग्रेस के दरबारी बुद्धिजीवियों , लेखकों और पत्रकारों की स्थिति और बदतर है। रवीश और पुण्य प्रसून जैसे यू ट्यूबर तो विक्षिप्त होने की सारी सरहद लांघ गए हैं। फिर कुंठित और हिप्पोक्रेट वामपंथियों के क्या कहने ! प्रज्ञान ने मियां की जूती , मियां के सिर वाली बात याद करते हुए देखता हूं कि बहुतों की जूती , उन के सिर पर है।

इसरो , चंद्रयान और सफलता का यह सुनहरा परिणाम बहुतों के लिए कैंसर बन कर उपस्थित है। उन का यह कैंसर का दर्द जनता कभी भूल जाएगी , मुझे नहीं लगता। इन सभी बीमारजनों को जान लेना चाहिए कि वह अपने लिए पहले की तरह अपना चुनावी कब्र खोदने के लिए बुरी तरह परिचित हो चुके हैं। देश की हर सफलता में नफ़रत और घृणा की उन की यह प्रवृत्ति उन्हें रसातल में पहुंचा चुकी है। जाने कब उन्हें इस का आभास होगा।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)

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