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विपक्षी पार्टियों ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का विरोध शुरू किया

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
विपक्षी पार्टियों ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का विरोध शुरू कर दिया है, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने आज तीनों सेनाओं की एकीकृत कमान सौंपी है। भारत दुनिया का पांचवा देश है जिसने एकीकृत कमांड के लिए सीडीएस को नियुक्त किया है।

विपक्ष अपनी भूमिका सशक्त बनाये, पर जिस तरह से हालात बन रहे है उसमे विपक्ष की भूमिका सकारात्मक नजर नही आ रही है । यह दुखद है । इस देश की राजनीति मे काफी बदलाव आया है जो चुनाव के बाद भी परिलक्षित नजर आता है ।

आज सोशल मीडिया इतना सशक्त माध्यम हो गया है कि इसके माध्यम से आम आदमी अपनी अभिव्यक्ति करने लगा है। वहीं टीवी के द्वारा लोगो को काफी जानकारी मिल रही है । समाचारपत्र भी उनको नवीनतम जानकारी से अपडेट करते रहते है । यही कारण है कि आम आदमी मे भी राजनीतिक रूप से जागरूकता आ गई है ।इन हालातो मे कौन कैसी राजनैतिक रोल निभा रहा है या किस मुद्दे पर राजनीतिक दलो का क्या रवैया रहता है; यह किसी से छुपा भी नही रहता ।

इसलिए नागरिकता बिल पर कौन सा दल ने क्या स्टैंड लिया है; देश इससे पूर्ण रूप से परिचित है । नागरिकता बिल पर विपक्ष ने जो शंका या आपत्ति ली है वो प्रथमदृष्टया मे ही खारिज हो जाती है । सरकार ने भी हर माध्यम से आश्वस्त किया पर जब नही मानने का इरादा कर ही लिया है तो समझाया कैसे जा सकता है ? इसके बाद के पूरे घटनाक्रम को देश ने देख ही लिया है ।

कौन नागरिक होगा जो देश के संसाधन को जलाकर कर राख करेगा ? कौन होगा जो बंद की परिस्थिति निर्माण कर पुलिस पर पथराव करेगा ? वही कौन सा दल होगा या नेता होगा जो घायल दंगाइयो से मिलने जायेगा ? क्या यही विपक्ष की भूमिका है । पहले भी सेना का विरोध, फिर राजनीतिक आरोप, आज सी. डी. एस के मामले मे भी वही रूख सामने आया है ।

मोदीजी का विरोध करते करते ये सेना और सेनाध्यक्ष का भी विरोध कर बैठते है । इससे जनता मे अच्छा संदेश नही जाता । अब एक बार इन दलो को गंभीरता से देशहित व उससे जुड़े मुद्दो पर ही सरकार को घेरना होगा अन्यथा ये अपना विश्वास खो बैठेंगे । अब समय आ गया है सरकार के सही काम पर साथ खड़ा दिखे, पर जनहित के मुद्दो पर सरकार कोई कोताही बरतती है तो कटघरे मे खड़ा करे । कैसे जनता न जुड़ती । हर दल का मकसद वोट बैंक से ज्यादा देश होना चाहिए । यही बात, जो शायद राष्ट्रवाद लगे, पर देश के लिए जरूरी है ।

लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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