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विपक्षी दुष्प्रचार की वजह से परवाण चढ़ रही है झूठ की राजनीति

नागरिकता कानून एनसीआर तथा एनपीआर पर देश को गुमराह करते कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल

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Positive India:विपक्षी दुष्प्रचार की वजह से परवाण चढ़ रही है झूठ की राजनीति। नागरिकता संशोधन बिल(CAB) जो बाद में नागरिकता कानून बना, उसकी आड़ लेकर विपक्षी दलों ने खासकर कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दल, समाजवादी पार्टी ने दुष्प्रचार को हथकंडा बनाते हुए देश की जनता को खूब भड़काया।

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एक कहावत है कि झूठ के पांव नहीं होते परंतु भारत के विपक्षी पार्टियों के पास न सिर्फ झूठ के पांव हैं बल्कि उनके पास कई सारे हाथ भी हैं। नागरिकता कानून(CAA) तथा एनसीआर(NCR) पर इन विपक्षी पार्टियों ने सुनियोजित तरीके से भारत के लोगों को जमकर भड़काया। यह वही कांग्रेस है जिसके कार्यकाल में एनसीआर बिल आया तथा नागरिकता कानून भी 2010 में कांग्रेसी लाई, पर जब नरेंद्र मोदी सरकार(Narendra Modi Govt) ने इसे अमलीजामा पहनाया तो ना सिर्फ पूरे देश में हल्ला मचा दिया बल्कि धरने प्रदर्शन के जरिए पूरे देश में आग लगाने की भरपूर कोशिश की गई।

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अभी नागरिकता कानून तथा एनसीआर पर बवाल थमा नहीं था कि विपक्षियों ने लोगों को एनपीआर पर भड़का आना शुरू कर दिया है। यह वही एनपीआर है जिसे कांग्रेस पार्टी अपने शासनकाल में लागू कर चुकी है। मोदी सरकार सिर्फ एनपीआर(NPR) का अपडेशन कर रही है अपने वक्तव्य तथा प्रदर्शनों से कांग्रेस ऐसा प्रदर्शित कर रही है जैसे नागरिकता कानून, एनसीआर तथा नेशनल पापुलेशन रजिस्टर से उसका कोई लेना-देना ही नहीं है; जबकि उसी की सरकार में यह सभी बिल लाए गए और उसे लागू किया गया।

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी चीख चीख यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत में चल रहे डिटेंशन सेंटर मोदी सरकार ने बनवाए हैं; जबकि असलियत यह है कि आसाम तथा अन्य जगहों पर चल रहे डिटेंशन सेंटर को कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में बनवाया। क्या राहुल गांधी इतने नासमझ है? ऐसा बिल्कुल नहीं है। एक सोची-समझी रणनीति के तहत इस झूठ को भारत में फैलाया जा हैं और ऐसा दुष्प्रचार किया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार मुसलमानों की दुश्मन है।

मोदी सरकार, भारतीय जनता पार्टी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस दुष्प्रचार को रोक नहीं पा रहे है। कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी पार्टियां जनमानस को तो भड़का ही रही है, छोटे-छोटे गैर राजनीतिक दलों को भी भड़काने में पीछे नहीं है। एक भेड़ चाल की तरह यह सभी पार्टियां और लोग नागरिकता कानून, एनसीआर तथा अब एनपीआर का विरोध कर रहे हैं। जबकि गृह मंत्री अमित शाह तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत में नागरिकता कानून नागरिकता देने का है ना कि लेने का। इससे यह तो स्पष्ट हो जाता है कि भारत में रह रहे किसी भी नागरिक की नागरिकता खतरे में बिल्कुल नहीं है। उसके बावजूद ऐसा दुष्प्रचार, ऐसा दुष्चक्र!

इस मुद्दे पर हो रहे धरने प्रदर्शनों पर लगाम तो लगी है। हिंसक आंदोलन की बजाय अब अहिंसक आंदोलन हो रहे हैं, परंतु देशभर में हो अवश्य रहे हैं। एक बात अच्छी यह हो रही है कि नागरिकता कानून के सपोर्ट में भी अब रैलियां, धरने प्रदर्शन होने लगे हैं। ज़ी टीवी की मुहिम एक मिस कॉल नागरिकता कानून के नाम पर, भारत के एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने मिस कॉल देकर अपना समर्थन दिया है।

ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार विपक्षियों के दुष्प्रचार करने की कैपेसिटी को अंडर एस्टीमेट कर बैठी तथा इसे रोकने की कवायद में पीछे रह गई। शायद अब उन्हें समझ आ गया है, तभी तो 5 जनवरी से इनका जनसंपर्क घर-घर शुरू हो रहा है। सरकार की इस मुहिम से विपक्ष के दुष्प्रचार पर लगाम लग जाने की उम्मीद है। बहुत जल्द भारतीय यह समझ जाएंगे कि नागरिकता कानून तथा एनपीआर भारत के लोगों के हित में है।

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