नसरुद्दीन शाह को एक आम हिंदुस्तानी का खुला पत्र।
Why Bollywood Actors Are Playing Double Game To Harm India?
Positive India: By Dr.Chandrakant Wagh:माननीय नसरुद्दीन शाह साहब सप्रेम नमस्कार । ये पत्र एक आम हिंदुस्तानी एक आम नागरिक की हैसियत से लिख रहा हू । जैसे खबरे आई है आप और आप जैसे छै सौ लोग एन डी ए का विरोध कर दूसरी पारी की शुरूआत कर रहे है । मेरे को लगता है कि मै आपके सभी प्रश्नो का उत्तर व शंका का समाधान अच्छे तरीके से करूंगा । मै तो आहत हू और मेरे जैसे इस देश के हर भारतीय आहत है कि आप यहा भय के माहौल मे रह रहे है । दुर्भाग्य यह है हर कलाकारो का रील लाइफ और रीयल लाइफ मे विरोधाभास रहता है । उसी साये मे हर कलाकार जीता है । बहुत कम कलाकार होते है जो समाज के लिए भी जीते है । इस देश ने दिलीप कुमार का भी दोहरा पन देखा है । ये वही दिलीप साहब है जो कामयाबी के समय दिलीप नाम का लबादा ओढे हुए थे । डर था कि कही मेरा असली नाम मुझे इस रेस से बाहर न कर दे । पूरे देश ने असीम प्यार दिया । तब कही कोई शिकायत नही । पर पाकिस्तान ने जब वहा का सर्वोच्च सम्मान निशाने पाकिस्तान दिया तब शेर की खाल ओढ़े सियार ने चिल्लाना शुरू कर दिया । वहाँ उन्होंने अपनी पहचान दिलीप साहब की जगह युसुफ साहब के नाम से की, वो ये जताना चाहते थे कि मै आपके ही बीच का आदमी हू । आपके समुदाय का ही आदमी हू । क्योंकि एक कलाकार की हैसियत से दिलीप नाम की बैशाखी की आवश्यकता खत्म हो गई थी । पता नही ऐसे कितने लोग है जो नाम बदलकर खुले आम देश को धोखा रहे है । ये सिर्फ दरियादिली सिर्फ पैसा कमाने के नाम से है । फिर यही महानुभाव लोग हमे धर्मनिरपेक्षता का ज्ञान देने से नही बाज आते । आज भी बालीवुड मे कई महानुभाव है जो नाम बदलकर अपने पैर जमाए हुए है । नसीर साहब आप भी ऐसे लोगो से वाकिफ होंगे । फिर पुनः मुद्दे पर अभी भी डर के माहौल मे रह रहे है । उस दिन आप लोग क्यो चुप हो जाते है जब हिंदू लड़कियों से शादी करते हो और कुछ समय बाद कपड़े जैसे बदल देते है ऐसे लोग जब डर का माहौल बनाते है जिससे अपने कुकर्म पर पर्दा डाल सके ? कितनी दुर्भाग्य पूर्ण बात है जिस महिला के साथ अन्याय हुआ वो कभी भी नही कहती कि डर का माहौल है । पर अन्याय करने वाला कहने लगता है । इस मे तो कितने नाम है मेरे से बहस करे तो गिना दू ? उस दिन आप लोग कैसे चुप हो जाते है जब घाटी से पंडितो के साथ नरसंहार, महिलाओ के साथ बलात्कार हो रहा था। उसके बाद भी इन लोगो मे से एक ने भी नही कहा डर का माहौल है ? करने वाले कौन थे इससे आप भी वाकिफ है ? जब 1984 मे सिक्ख दंगे हुए कितने निरपराध सिक्ख मारे गए उसके बाद भी किसी भी सिक्ख भाई ने यह नही कहा कि डर का माहौल है । उस दिन को कैसे भूल गए जब रोहिंगया को बसाने के लिए पूर्ण मुंबई मे आतंक का माहौल बना दिया गया था । इसके कारण पुलिस वाले भी शहीद हो गए थे । डर का कारण तब नही लगा जब मनमोहनसिंह ने यहा के संसाधन पर मुस्लिमो के पहले हक की बात की थी । नसीर साहब अब बता ही दो आपने कब आतंकवादी घटनाओ का विरोध किया ? नसीर साहब डर का वातावरण किसे कहते है ये आपने कभी जानने की कोशिश की तो मै आपको बता दू कि तारिक फतेह साहब है जिन्हे देश से निर्वासित कर दिया गया है । आज वो कनाडा मे रह रहे है । वही एक बार सुप्रसिद्ध लेखिका डा. तस्लीमा नसरीन भी भारत मे रह रही है । उनके साथ क्या हुआ ये भी आपको पता है । ऐसे हालात तो जहर उगलने वाले जाकिर नाईक के साथ भी नही हुआ ? नसीर साहब देश को भी पता है यूपी के एक नेता ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की बोटी बोटी करने की बात की तब मोदी जी को भी भय का माहौल नही लगा । उनके साथ तो एक मौलाना ने उनके सर पर एक करोड़ देने की बात की तब भी मोदी जी को भय का वातावरण नही लगा । नसीर साहब बात निकली है तो दूर तलक जायेगी । ऐसा लगता है यह सब राजनीतिक के हिसाब से प्लांट कया गया है । आप सिद्धांत के आधार पर राजनीतिक विरोध करे ये आपका संवैधानिक अधिकार है । पर झूठ के साथ राजनीति मे पदार्पण सामाजिक सौहार्द्रता को खत्म करने की अगर साजिश भी कहा जाए तो गलत नही है । चलिए, मै आप जैसे नामचीन कलाकार और छै सौ लोगो पर एक सामान्य व्यक्ति इसलिए भारी है क्योंकि मेरे साथ सत्य है । आगे और कभी।
लेखक डा . चंद्रकांत रामचंद्र वाघ