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एन डी टी वी एक समय पोंटी चड्ढा जैसों के पैसे से चड्ढी पहनता था , अडानी की मति मारी गई है

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
एन डी टी वी से अडानी का पैसा क्या जुड़ा , कितनों के दिल जुड़ा गए। कितनों के दिल पर कटारी चल गई। यह दोनों तरह के लोग शायद इस तथ्य से परिचित नहीं हैं कि एनडीटीवी एक समय पोंटी चड्ढा जैसों के पैसे से चड्ढी पहनता था। पैसा-पैसा होता है। अडानी का हो या पोंटी चड्ढा का। बिन चड्ढा की याद है किसी को ? कभी इस दल्ले की भी बड़ी तूती बोलती थी। शरद जोशी जैसे लोग लिखने को विवश थे , तुम बिन चड्ढा , हम बिन चड्ढी !

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आप मत मानिए पर जानिए कि एन डी टी वी में ब्लैक मनी भी ख़ूब चलती रही है। इसी ब्लैक मनी के चलते प्रणय रॉय ने देश का माहौल बहुत ख़राब किया है। एजेंडा पत्रकारिता के नफ़रत की बयार बहाई। माहौल जहरीला बनाया। कुछ मनबढ़ लोगों का मन और बढ़ाया। प्रणय रॉय पर फेरा के मामले क्यों चल रहे हैं ? कोई क्रांतिवीर उन से पूछे तो सही। अब ब्लैक मनी की आमद बंद हुई तो एन डी टी वी कर्ज में डूब कर बंदी की कगार पर आ गया।

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अडानी की मति मारी गई है जो न देखे जाने वाले चैनल में जाने क्या सोच कर इतना पैसा बर्बाद कर दिया है। कुछ मनोरोगियों का पसंदीदा चैनल भले हो एन डी टी वी। पर न्यूज़ चैनल नहीं , एजेंडा चैनल है। रही बात उल्टी गंगा बहाने वाले रवीश कुमार पांडेय की तो प्रणय रॉय के टट्टू से ज़्यादा हैसियत नहीं है। जब कि प्रणय रॉय फोर्ड फाउंडेशन का टूल है। सोनिया गांधी का टूल है।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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