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ओफ्फोह ! बड़े लड़इय्या तालिबान-पाकिस्तान

-सतीश चन्द्र मिश्रा की कलम से-

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Positive India:Satish Chandra Mishra:
आजकल भारतीय न्यूजचैनलों पर तालिबानी गुंडों की ताक़त और दहशत का बड़ा शोर मच रहा है।
चीन और पाकिस्तान से मिलीं 2 नंबरी बंदूकों तोपों और हथगोलों तथा अमेरिकी सैनिकों द्वारा अफगानिस्तान में छोड़ दी गयी हथियारों की जूठन से लैस तालिबानी गुंडों का मददगार वो पाकिस्तान है जिसका प्रधानमंत्री हर महीने
2 महीने बाद खैरात का कटोरा लेकर किसी ना किसी खाड़ी देश या फिर चीन की देहरी पर जा कर खड़ा हो जाता है।
IMF 2-3 बिलियन डॉलर कर्ज देने की सहमति जता देता है तो पूरी पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी मीडिया खुशी से नाचने कूदने लगती है। अतः जिस भारत का केवल विदेशी मुद्रा कोष लगभग 45 लाख करोड़ रूपये से अधिक है, जो भारत अपनी सेना के केवल 2 हथियारों राफेल और S-400 पर ही लगभग एक लाख करोड़ रूपए खर्च कर रहा है। उस भारत पर यह दोनों इंटरनेशनल भिखमंगे मिलकर हमला कर सकते हैं, उसपर भारी पड़ सकते हैं। देश को डराने, उसका मनोबल तोड़ने वाले ऐसे मूर्खतापूर्ण सपने ना मैं देखता हूं ना दिखाता हूं। यह कुकर्म केवल कुछ न्यूजचैनलों के हाहाकारी एंकर/रिपोर्टर/एडिटर करते हैं। या फिर डेढ़ 2 हजार रुपए प्रति डिबेट के किराए के हिसाब से न्यूजचैनलों की डिमांड के अनुसार चीखने चिल्लाने गरजने बरसने वाले फलाने ढिकाने विशेषज्ञ विश्लेषक ऐसे कारनामों को अंजाम देते हैं।
सच यह है कि इन दोनों भिखमंगों की भारत में घुसने की औकात नही है। अगर दोनों भिखमंगों ने गलती से ही ऐसा कोई दुस्साहस कर भी दिया तो भारतीय सेना इनकी खाल में भूसा भर देगी। 1948, 1965, 1971, 1999 में भारतीय सेना ऐसा कर के दिखा भी चुकी है। इसका ताजा उदाहरण केवल ढाई वर्ष पहले का है। जब पाकिस्तान में लगातार पांचवीं बार सांसद चुन कर आया पाकिस्तानी संसद का पूर्व अध्यक्ष अयाज सादिक़ पिछले वर्ष अक्टूबर 2020 में पाकिस्तानी संसद के भीतर चीख चीखकर पूरे पाकिस्तान और पूरी दुनिया को बता रहा था कि… “28 फरवरी 2019 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल बाजवा जब भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई पर बात करने के लिए संसद के नेताओं के सामने तशरीफ लाए तो उनके पैर कांप रहे थे। पसीना उनके माथे पर था। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हमसे कहा था कि खुदा का वास्ता है कि इसे (अभिनंदन को) जाने दें, क्योंकि हिंदुस्तान 9 बजे रात को पाकिस्तान पर अटैक कर रहा है।” तो यह है ताक़त उस पाकिस्तान की, जिसके साथ तालिबानी गुंडों के गठबंधन के हमले का डर दिखा कर देश को भयभीत करने का वही कुकर्म वही न्यूजचैनल कर रहे हैं, जो 3-4 महीने पहले रातदिन जलती हुई चिताओं, मुर्दों के ढेर दिखाकर देश को भयभीत करने का यही कुकर्म कोरोना के नाम पर कर रहे थे। अतः तालिबान पाकिस्तान गठबंधन यह कर देगा, वह कर देगा सरीखी न्यूजचैनली वेताल कथाओं से बिल्कुल भ्रमित मत होइए। यह भी स्पष्ट कर दूं कि तालिबानी लफंगों को जिस चीन की मदद का हउव्वा यह न्यूजचैनल रोज दिखा रहे हैं, वह पता नहीं क्यों यह भूल गए हैं कि केवल सवा साल पहले भारतीय सेना ने उस चीन की कैसी प्रचंड ठुकाई गलवान घाटी में की थी। चीन को पीठ दिखा कर वापस जाना पड़ा था। सच तो यह है कि 1962 में वायुसेना का उपयोग नहीं करने की नेहरू की देशघाती करतूत के कारण विजयी हुआ चीन उसके बाद से आजतक कोई युद्ध नहीं जीता है। वियतनाम सरीखे छोटे से देश से लड़ने की कोशिश करने पर वियतनामी सेना और गुरिल्लों ने अपने बूटों की मार से चीन का मुंह लाल कर दिया था। तब से चीन किसी देश से लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सका है। भारत का डर दिखाकर पाकिस्तान की सड़क रेल और एयरपोर्ट, यहां तक कि रेडियो स्टेशन तक अपने पास गिरवी रख चुका चीन ऐसा ही कोई कारनामा अफगानिस्तान में भी कर सकता है। उसकी हैसियत डरा कर वसूली करने वाले गुंडे की ही है। लेकिन कट्टर धर्मान्ध और नितांत ज़ाहिल तालिबानी लफंगों पर उसका यह झांसा कब तक काम करेगा.? इस रोचक मनोरंजक पहेली के उत्तर के लिए थोड़ी प्रतीक्षा करिए। क्योंकि मौसम तेजी से बदल रहा है।😀

अगली कुछ पोस्टों में इस बदलते मौसम और तालिबान के दम पर चर्चा करूंगा
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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