Positive India:Vishal Jha:
मनोहर लाल खट्टर को गाली देने से कुछ नहीं होगा। गाली देकर अपनी कायरता को नहीं छुपाया जा सकता। आज मनोहर लाल खट्टर हैं सत्ता में, कल राजनीति बदलेगी कोई गैर भाजपाई सीएम होगा। तब क्या करोगे? तब केंद्र सरकार को गाली दोगे! पीएम मोदी को गाली दोगे! पूछोगे राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगा रहे? कल को केंद्र में भी सत्ता पलट सकती है। फिर कोई गैर भाजपाई पीएम आएगा। तब क्या करोगे?
अगर तुम सोच रहे हो तुम हिंदू होने के नाते हिंदू वत्सल सरकार बनाए हो तो यह तुम्हारी मूर्खता है। अगर नरेंद्र मोदी गुजराती चाल से दिल्ली की ओर रवाना होते उन्हें कोई लोकसभा में घुसने नहीं देता। सबको मालूम है यह सत्य। इसलिए उन्होंने गुजरात मॉडल को आगे करके विकास को मुद्दा बनाया। लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ी। और संविधान का शपथ लेकर प्रधानमंत्री बने हैं। किस हिंदुत्व की दुहाई दे रहे हो? इसके बावजूद एकमात्र वही प्रधानमंत्री है जो भर माथे का त्रिपुंड लगाकर काशी विश्वनाथ की भूमि से औरंगजेब को ललकार लेता है। तो यह उनके तरफ से किया हुआ तुम पर उपकार है। मुफ्त का उपकार। इसके लिए तुमने कोई मूल्य नहीं चुकाया है।
योगी आदित्यनाथ और हिमानता बिसवा सरमा की बात तो करो ही मत। क्योंकि एक सक्षम अभिभावक के अधीन आश्रित कभी भी आत्मरक्षा में दक्ष नहीं बन पाएगा। जब कहीं दंगा हो, बस तुम्हारा काम गाली देना आरंभ हो जाता है। तुम्हें किसी ने बांध रखा है जवाब देने को? जब भी कहीं इस्लामिक आक्रमण होता है, तुम जवाब देने के बजाय कायरों की भांति आपस में ही कलह करने लगते हो। क्योंकि तुम्हें मालूम है, तुम चुप रहोगे तो तुम्हारी कायरता और जल्दी एक्सपोज होगी।
यह देश संविधान से चलता है। संविधान के तहत जो कानून है उसका नियम है कि किसी को भी अपराध की मानसिक प्लानिंग के लिए सजा नहीं दी जा सकती। सजा तभी दी जा सकती है जब अपराध घटित हो जाएगा। तो मेवात में अपराध घटित हो गया है। केंद्र सरकार ने रैपिड एक्शन फोर्स की 20 कंपनियां हरियाणा में भेज दी है। अब दंगा नहीं होगा। बोलो, अब तुम खुश हो ना? लेकिन हर बार ऐसी खुशी पाने के लिए तुम्हें इस्लामिक अटैक का एक शिकार तो होना ही पड़ेगा। क्योंकि अटैक से पहले तो सरकार फोर्स भेज नहीं सकती। संवैधानिक कानून में अपराध होने से पहले किसी भी एक्शन का विधान नहीं है और ना ही किसी संप्रदाय भर को दोषी ठहराने की शक्ति। अगर तुम्हें लगता है कि समाज का कोई संप्रदाय समाज-शांति के लिए चुनौती है, तो इसकी जिम्मेदारी तुम्हें स्वयं देखनी होगी। जो तुम्हारी कायरता की भेंट चढ़ चुका है।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)