Positive India:नयी दिल्ली, 1 अगस्त ,
(भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र का नियमन करने वाले महत्वपूर्ण विधेयक के विरोध में हड़ताल पर हैं और उन्होंने आपात विभाग समेत सभी सेवाएं रोक दीं हैं।
एम्स, आरएमएल अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और एलएनजेपी समेत कई सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार किया, मार्च निकाला और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में नारे लगाए। यह विधेयक अभी राज्यसभा में पेश किया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाता है तो वे ओपीडी, आपात विभाग, आईसीयू और ऑपरेशन थियेटरों में काम नहीं करेंगे और अपना विरोध अनिश्चितकाल के लिए जारी रखेंगे।
एनएमसी भ्रष्टाचार के आरोप झेल रही भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की जगह लेगा। यह विधेयक 29 जुलाई को लोकसभा में पारित हुआ था।
एम्स और सफदरजंग अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों और स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के कारण बृहस्पतिवार सुबह रिंग रोड पर यातायात बाधित हो गया। पुलिस ने उन्हें संसद की ओर मार्च करने से रोक दिया।
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को हिरासत में ले लिया गया और उनमें से कुछ को बाद में रिहा कर दिया गया।
संसद के आसपास के इलाकों में पुलिस बल की भारी तैनाती देखी गई। संसद के आसपास की सड़कों पर बैरिकेड लगाए गए, इलाके में यातायात की गति भी धीमी रही।
फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) से जुड़े डॉक्टरों के एक अन्य समूह ने आरएमएल अस्पताल से संसद तक मार्च करने की योजना बनाई थी। फोर्डा के महासचिव डॉ. सुनील अरोड़ा ने दावा किया कि डॉक्टरों को संसद की ओर जाने से रोक दिया गया।
एम्स आरडीए, फोर्डा और यूनाइटेड आरडीए ने संयुक्त बयान में कहा था कि इस विधेयक के प्रावधान कठोर हैं।
बयान में कहा गया था कि विधेयक को बिना संशोधन के राज्यसभा में रखा जाता है तो पूरे देश के डॉक्टर कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाएंगे जो समूचे देश में स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर सकता है। डॉक्टर अनिश्चितकालीन समय के लिए जरूरी और गैर जरूरी सेवाओं को बंद कर देंगे।
देश के डॉक्टरों एवं चिकित्सा छात्रों को विधेयक के कई प्रावधानों पर आपत्ति है। आईएमए ने एनएमसी विधेयक की धारा 32(1), (2) और (3) को लेकर चिंता जताई है जिसमें एमबीबीएस डिग्री धारकों के अलावा गैर चिकित्सकीय लोगों या सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को लाइसेंस देने की बात की गई है।
इसके अलावा चिकित्सा छात्रों ने प्रस्तावित ‘नेक्स्ट’ परीक्षा का उसके मौजूदा प्रारूप में विरोध किया है। विधेयक की धारा 15(1) में छात्रों के प्रैक्टिस करने से पहले और स्नातकोत्तर चिकित्सकीय पाठ्यक्रमों में दाखिले आदि के लिए ‘नेक्स्ट’ की परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रस्ताव रखा गया है।
उन्होंने विधेयक की धारा 45 पर भी आपत्ति जताई है जिसमें उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार के पास राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के सुझावों के विरुद्ध फैसला लेने की शक्ति होगी।
Positive India (www.positiveindia.net.in)has been started in the year 2012 at Raipur by Purshottam Mishra of Chhattisgarh-India. Positive India is offline weekly newspaper and www.positiveindia.net.in is online daily newsportal.Positive India is very active on social media platforms.