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270 से ज्यादा पीएफआई के लीडरानों को एनआईए ने उठाया

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
सनातन समाज माता जगदम्बा की उपासना कर रहा है। आज नवरात्रि का दूसरा दिन रहा और पीएफआई(PFI) पर दूसरे राउंड की रेड हुई। लोकतंत्र के युग में दानवों के संहार का यही तरीका है। जब लोकतंत्र नहीं हुआ करता था, धर्म और अधर्म के बीच एक स्पष्ट रेखा हुआ करती थी। शक्ति स्वरूपा दानवों का संहार किया करती थी। जबकि लोकतंत्र के चोले में आज यह विभाजन मिट चुका है। लोकतंत्र की सीमा जनाधार तक है। जनाधार पलटते ही लोकतंत्र पलट जाता है। नहीं पलटने की स्थिति में भी अल्पसंख्यक बता कर लोकतांत्रिक संविधान से वैधानिकता प्रदान की जाती है। लिहाजा अवैध कौन है प्रमाणित करना आसान नहीं होता।

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प्रतिबंध बहुत आसान है। मैंने कभी भी पीएफआई पर प्रतिबंध के लिए न विचार रखा, ना कभी ऐसे कृत्यों पर लोकप्रियता काटते विमर्श का समर्थन किया। 2001 में इस्लामिक मूवमेंट वाला सिम्मी प्रतिबंधित हुआ। फिर इंडियन मुजाहिदीन मजबूत हुआ। 2010 में इंडियन मुजाहिद्दीन प्रतिबंधित हुआ। पीएफआई उभर कर आया। सिम्मी के सारे लीडर पीएफआई से जुड़ गए। इंडियन मुजाहिदीन प्रतिबंध होने के बावजूद सालों 4 बार लगातार सीरियल बम ब्लास्ट करता रहा। सरकार की तरफ से ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाना, मतलब संगठन के सभी नेताओं को यह संकेत करना कि अब इस संगठन का उम्र पूरा हुआ। कोई दूसरा ठिकाना तलाश लो।

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शक्ति का उपासक मोदी संगठनों के प्रतिबंध का यह प्रतिरूप अच्छी तरह समझ चुका था। वह लोकप्रियता काटने के बजाय काम करना जानता है। एक प्रशासक के तौर पर पीएफआई पर प्रतिबंध लगाकर मोदी को अपनी जिम्मेदारी पूर्ण समझ लेनी चाहिए थी। लेकिन इससे शक्ति उपासना का मान केवल तभी हो पाएगा जब अधर्मियों के बीज को नष्ट किया जाए। रक्तबीज के संहार के लिए जैसे देवी ने रक्तपान करना चुना था। आज 270 से ज्यादा पीएफआई के लीडरानों को एनआईए(NIA) ने उठाया है। भारत के इतिहास में किसी आतंकी संगठन पर ऐसा क्रैकडाउन कभी नहीं देखा गया होगा। और विचारणीय है कि तमाम एजेंसियों को इतने बड़े क्रैकडाउन के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी होगी।

ईडी, इंटेलिजेंस, एनआईए, डिफेंस, सेक्रेटेरिएट, मिनिस्ट्री जैसे तमाम स्ट्रक्चरों ने दिन रात कितनी बारीक मेहनत की होगी। फिर मौका मिले ना मिले लेकिन मैं इस वक्त मोदीजी को नमन प्रेषित करना चाहता हूं। क्योंकि ऐसे कार्यों के लिए जो सबसे जरूरी उपकरण है वह है नियत। और नियत ही किसी नेता की पहली-आखिरी शर्त होती है। मोदी जी शक्ति के स्वयं उपासक हैं। देवी उन्हें और शक्ति प्रदान करें। जिससे भारत को इस्लामिक राष्ट्र के लिए सपना देखने वाली दानवता जड़ मूल से नष्ट हो। न केवल प्रतिबंधित हो। जय जगदम्बे।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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