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न्यूज़ स्टुडियो में बहस का गिरता स्तर

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आजतक मे ट्रंप के उपर हल्ला बोल बहस मे हल्ला ही हो गया है । एक नेता ने पैनल मे रक्षा विशेषज्ञ के तौर पर उपस्थित सेवानिवृत्त मेजर जनरल एस पी सिन्हा पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर बहस की गरिमा ही गिरा दी । मुझे व्यक्तिगत तौर पर दुख हुआ है । अब सभी चैनलो की जिम्मेदारी है कि इस तरह के बहस मे जो राष्ट्रीय स्तर पर देखी जाती है उसका स्तर स्तरहीन हो तो दुख की बात है । मेहमान बुलाते समय उन्हे पहले उस मेहमान के मिजाज का भी ध्यान रखना चाहिए । उग्र तेवर वाले पैनलिस्ट का बहिष्कार ही करना चाहिए । यह कोई पहले बार ही नही हुआ है । इसके पहले भी एक बहस मे एक पैनलिस्ट ने कांच का आधा पानी से भरे हुए गिलास को टेबल पर पटक दिया था । यह अच्छा हुआ कि किसी मेहमान को चोट नही आई । एक और बहस मे एक पुरुष पैनलिस्ट ने एक महिला मेहमान के साथ स्टूडियो मे ही मारपीट चालू कर दी थी । कम से कम मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए, पर उसकी नितांत कमी दिखाई देती है । दुर्भाग्य यह है कि जब बहस मे जवाब देने के लिए शब्द कम पड़ जाए और पक्ष कमजोर महसूस होने लगे तो ऐसी हरकत कर पूरे बहस और काय॔क्रम मे पलीता ही लगा दिया जाता है । पता नही सार्वजनिक बहस को व्यक्तिगत क्यो बना दिया जाता है । फिर बौद्धिक पराजय भी चुभने लगती है । फिर इसे कैसा बदला जाऐ जिससे मूल विषय पर पूरी बहस भटक जाती है । उद्घोषक फैले हुए रायते को समेटने मे लगा रहता है । दर्शक तो किंकरत॔वयमूढ के हालात मे रहते है ।कुछ दिनो पहले पाकिस्तानी टीवी मे लाइव मे स्टूडियो मे ही मारपीट चालू हो गई थी । जो भी हो, इससे जहाँ इनका स्तर गिरता है, वही राष्ट्रीय पार्टियों के प्रवक्ता ऐसा करने लगे जो अपने दलो का मुख होते है तो ये चिंता का विषय है । ये सबकी जिम्मेदारी है कि कम से कम राष्ट्रीय विषयो पर एकमत होना चाहिए, पर यहाँ अपनी राजनीति पहले, बाद मे देश। ठीक वैसे ही मीडिया के लिए पहले टीआरपी बाद मे देश ? सबको अपने हित की चिंता है । देश के बारे मे कोई क्यो सोचने लगे। टीवी चैनलों को चाहिये कि वे कम से कम गंभीर लोगों को बुलाए ताकि सार्थक बहस हो सके ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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