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मोदीकाल में लोकतंत्र का एक और रूप

विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
दिल्ली विधानसभा में अरविंद केजरीवाल मोदी के खिलाफ एक नई स्टोरी लेकर आए। उन्हें लगा होगा ये स्टोरी राजनीति में एक नया धमाका साबित होगा। विधानसभा में जिस समय वे स्टोरी कर रहे थे, ऐसा लग रहा था आत्मविश्वास से बिल्कुल भरे हुए दिखने की कोशिश कर रहे थे। एकदम धीमी, सुंदर और मधुर आवाज में बोल रहे थे। केजरीवाल पढ़े लिखे व्यक्ति हैं, उन्हें मालूम है साजिशें कूल होकर रची जाती हैं।

केजरीवाल की बातचीत भाजपा के किसी बड़े नेता से हुई, इस आधार पर वे कहानी बताते हैं कि उस बड़े नेता ने बताया, मोदी जी अडानी की इतनी मदद क्यों करते हैं, जबकि अपने घर परिवार में किसी की भी मदद नहीं करते फिर भी। बड़े नेता ने इसका राज बताया, जो व्यक्ति अपनी पत्नी के लिए कुछ नहीं करता, मां के लिए कुछ नहीं करता, भाई के लिए कुछ नहीं करता, दोस्त पर इतना मेहरबान क्यों हैं? हिन्डेनबर्ग की रिपोर्ट आते ही मोदी जिस दोस्त को तुरंत साइड कर देते, लेकिन उन्हें बचाने के लिए अपनी पूरी एजेंसी लगा देते हैं। बड़े नेता बताते हैं कि अडानी तो केवल फ्रंट हैं, असल में सारा पैसा मोदी जी का है।

केजरीवाल कहते हैं कि बड़े नेता की बातों पर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने बड़े नेता से पूछा, मोदी जी के आगे पीछे जब कोई नहीं है तो मोदी जी इन पैसों का क्या करेंगे? जवाब में बड़े नेता ने कहा, मोदी जी को पैसे की हवस है। जब दुनिया में अमीरों के लिस्ट में अदानी दूसरे स्थान पर आए थे, तब दरअसल अडानी दूसरे अमीर नहीं थे, बल्कि मोदी जी दुनिया के दूसरे अमीर व्यक्ति थे। विदेशों की बिजली कंपनी से लेकर अपने देश की बंदरगाहों तक, सब कुछ जो भी अडानी के नाम किया जा रहा, दरअसल वह मोदी जी का ही है।

केजरीवाल की स्टोरी भले केजरीवाल के अपने विधायक भी विश्वास ना करें, कांग्रेस, सपा, टीएमसी के नेता विश्वास ना करें, लेकिन इतना तो तय है कि केजरीवाल ने विपक्ष की राजनीति की एक जबरदस्त तस्वीर देश के सामने रखी है। इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि विपक्षी राजनीति मुद्दों के बजाय कहानियों पर लड़ने की कोशिश पर टिका है। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अपराध, महिला सुरक्षा, कानून व्यवस्था जैसे तमाम मुद्दे राजनीति से महज 8 वर्षों में गायब हो गए। अब ऐसा हो रहा कि विदेशों से रिपोर्ट तैयार कराई जाती है। उसके ऊपर स्टोरी की राजनीति भारत में की जाती है। राफाएल हो, पैगेसस हो, उसके बाद हिंडेनबर्ग रिपोर्ट, तमाम इंपोर्टेड स्टोरी जब भारत में विफल हो गई, तब केजरीवाल महाधमाकेदार नई स्टोरी लेकर आए। धमाका ऐसा के 24 घंटों ऊपर हो गए, किसी को कानों कान खबर नहीं हुई।

एक समय था विधानसभा और लोकसभा जन सरोकार के मुद्दे उठाने के लिए लोकतंत्र के मंदिर के रूप में जाने जाते थे। आज ये संस्थाएं डिजाइनर कहानियों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे। और ये कहानियां लगातार औंधे मुंह गिरती चली जाती है। मोदी काल की राजनीति ऐसे डिजाइनर कहानियों के लिए भी याद किया जाएगा, जिसे भारत में कहानियों के लोकतंत्र का काल भी कहा जाएगा।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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