www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

नीम करौली बाबा के कुछ प्रवचन बिल्कुल अपने घर के जिम्मेवार बुजुर्गों की सलाह जैसे हैं।

-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से-

Ad 1

Positive India: Sarvesh Kumar Tiwari:
वे बीसवीं सदी के उन महान संतों में से थे जिनकी ख्याति समूचे संसार में रही। जिनके शिष्य भी संसार भर में रहे, और अब भक्त भी समस्त संसार में हैं।

Gatiman Ad Inside News Ad

मैंने कहीं पढा, बताया जाता है कि उनके भक्त जब उन्हें परेशानी के समय में याद करते हैं तो उन्हें बल मिलता है। उन्हें लगता है कि बाबा उनके साथ हैं और कह रहे हैं- “निश्चिन्त रहो और अपना काम करो, सब शुभ होगा।” मुझे लगता है आज के समय में मनुष्य को इसी बल की सर्वाधिक आवश्यकता है, क्योंकि विपत्तियों से जूझने का माद्दा कम होता जा रहा है। आज के समय में अधिकांश लोगों के पास ऐसे दोस्त या परिवारजन नहीं हैं जो विपत्ति के समय में कहें, “चिन्ता न करो, हम हैं न!” ऐसे में वैसी दिव्य शक्तियां ही काम आती हैं।

Naryana Health Ad

इसमें कोई संदेह नहीं कि मानसिक शांति के लिए अब भी संसार भारत की ओर ही देखता है। इसकी व्यवस्था अन्यत्र कहीं नहीं। होती, तो दुनिया भर को अशांत करने वाले जुकरबर्ग भाई खुद शान्ति ढूंढने कैंची धाम तो नहीं जाते। बाबा के पास दुनिया भर से आने वाले धनवान शिष्य और भक्त इसी के लिए आते थे।

वे हनुमान जी के भक्त थे। हमेशा कम्बल लपेटे रहते थे। उत्तर प्रदेश के अकबरपुर से निकले तो देश के अनेक हिस्सों में घूमते रहे। जिधर गए उधर के भक्तों ने नया नाम दे दिया। लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा, तिकोनिया वाले बाबा, तलइया बाबा… पर हर जगह, हर रूप में, उनकी छवि अपने शिष्यों भक्तों को शांतिपूर्ण जीवन का उपदेश देते संत की ही रही।

मैंने पढा कहीं, नीम(नींब) करौली नामक गाँव में बाबा ने एक चमत्कार दिखाया था। वे ट्रेन से जा रहे थे। उनके पास टिकट नहीं था। अधिकारी ने उन्हें उतर जाने के लिए विवश कर दिया तो उतर गए। अब ट्रेन आगे बढ़े ही ना! कुछ लोगों ने अधिकारी को समझाया तो उसने संत से क्षमा याचना की। बाबा ट्रेन में बैठे तो ट्रेन चल पड़ी। आप चाहें तो इस कथा को गल्प कह सकते हैं! मैं भी इसकी सत्यता का दावा क्यों करूँ? हाँ उनके भक्त इस चमत्कार को मानते हैं, उनकी आस्था है। आप तर्कों से इस बात को हजार बार खारिज करते रहिए, पर एक सामान्य व्यक्ति को चमत्कार ही आध्यात्म की ओर ले जाता है। वही पहली सीढ़ी है।

मैं अपनी बात करूं तो मुझे कभी भी चमत्कारों पर अविश्वास नहीं रहा। जीवन की परेशानियों से जूझते जूझते हार चुके व्यक्ति को भी यह भरोसा हो जाना कि ‘ईश्वर सब ठीक कर देगा’ अपने आप में चमत्कार ही तो है। संतों के अतिरिक्त और कोई यह आश्वासन नहीं दे सकता। और ऐसे चमत्कार होते रहने चाहिये।

नीम करौली बाबा के कुछ प्रवचन बिल्कुल अपने घर के जिम्मेवार बुजुर्गों की सलाह जैसे हैं। अनावश्यक व्यय न करने की सलाह, धन का संचय करने की शिक्षा, किसी भी कार्य को शुरू करने से पूर्व देव की अर्चना करना… यह सहज गृहस्थ भाव ही तो है।

इधर उनके भक्तों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। कैंची धाम जाने वालों की टोली बढ़ती जा रही है। यह भी सुखद ही है। आध्यात्म ही संसार में शांति स्थापित कर सकता है।
जय हो बाबा की, जय हो उनके भक्तों की।

साभार:सर्वेश तिवारी श्रीमुख-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
गोपालगंज, बिहार।

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.