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NDTV के घटिया स्तर का इससे शर्मनाक साक्ष्य कुछ और हो सकता है क्या?

Harvard Associate Professor Nidhi Rajdan!!

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Positive India:Satish Chandra Mishra:
NDTV के घटिया स्तर का इससे शर्मनाक साक्ष्य कुछ और हो सकता है क्या.?
निधि राजदान का मजाक उड़ाने के बजाय उससे यह सवाल पूछिये…
NDTV की एक्जिक्यूटिव एडिटर सरीखे भारी भरकम पद पर बरसों तक विराजमान रही निधि राजदान पिछले 7 महीनों से झूठ बोल रही थी कि जून 2020 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने उसे पत्रकारिता के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया है। इसके बाद वो NDTV से इस्तीफा देकर उसके पर्दे से गायब हो गयी। लेक़िन सोशल मीडिया में लगातार सक्रिय रही और उस दौरान उसके कई ट्वीट्स की लोकेशन भी विदेश में दिखती रही। लेकिन कल अचानक उसने ट्विटर पर यह सूचना दी कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में उसकी नियुक्ति की खबर झूठ थी क्योंकि किसी ने उसके साथ जालसाजी कर के उसकी नियुक्ति की झूठी खबर उसे दी थी।
कल निधि राजदान द्वारा दी गयी इस सूचना के बाद सोशल मीडिया में उसका जमकर मज़ाक उड़ाया जा रहा है। लेक़िन मेरे अनुसार यह मामला मजाक उड़ाने का नहीं है।
कल्पना करिए कि पिछले 21 वर्षों से जो औरत एक राष्ट्रीय न्यूजचैनल की पत्रकार हो। दस वर्षों से एक्जिक्यूटिव एडिटर सरीखा भारी भरकम पद संभाल रही हो। NDTV जिसे अंतरराष्ट्रीय मामलों की इतनी बड़ी और गहन जानकार मानता रहा हो कि देश की विदेश नीति पर नियमित कार्यक्रम करने की जिम्मेदारी उसे सौंप रखी हो। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा समेत भारत आने वाले प्रमुख़ राष्ट्राध्यक्षों की पत्रकार वार्ता में NDTV की तरफ से उसे ही भेजा जाता था। क्या वह निधि राजदान इतनी मूर्ख, इतनी गंवार, इतनी ज़ाहिल है कि लगभग 7 महीने में वो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी सरीखे विश्वविख्यात शिक्षा संस्थान में अपनी नियुक्ति के सच का पता नहीं लगा पायी.? क्या यह सम्भव है.? यदि यह सच है और ऐसा हुआ है तो यह शर्मनाक साक्ष्य है कि NDTV की पत्रकारिता और उसके पत्रकारों, संपादकों का स्तर कितना घटिया है। इसके बजाय यदि यह कहूं कि NDTV की पत्रकारिता का स्तर शून्य है और पत्रकारिता के नाम पर सरकार के खिलाफ अफवाह फैलाने, कांग्रेस प्रायोजित एजेंडा चलाने का गोरखधंधा ही उसका मुख्य और एकमात्र कार्य है। याद करिये कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A खत्म करने के निर्णय तथा कश्मीर में की जा रही कार्रवाई के खिलाफ निधि राजदान जमकर ज़हर उगलती रही है। चीनी घुसपैठ के फर्जीवाड़े, बालाकोट एयरस्ट्राईक पर भ्रम संदेह उत्पन्न करने वाले कुटिल सवालों सरीखी उसकी सैकड़ों करतूतों की सूची पिछले 6 वर्षों के दौरान बहुत लम्बी हो चुकी है। यही निधि राजदान और NDTV पिछले 6-7 वर्षों से प्रधानमंत्री समेत पूरी सरकार को देश की विदेश, रक्षा, आर्थिक नीति पर सही गलत का प्रवचन देती रही है। उचित अनुचित का ज्ञान बांटती रही है। उसकी उन करतूतों पर इस देश के तथाकथित सेक्युलर लिबरल कुबुद्धिजीवियों की फौज लगातार निहाल होती रही। बेसुध होकर नाचती गाती रही है।
साभार:सतीश चन्द्र मिश्रा(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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