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#नरेन्द्र_दामोदर_दास_मोदी वह नारा है जिसनें राष्ट्रवाद की चिंगारी को ज्वाला मे बदल दिया

क्या सात साल पहले कोई सोच सकता था कि देश मे ही तीन तलाक़,हलाला और इस्लाम के किसी मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बहस हो सकती थी...?

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Positive India:Ajit Singh:
#नरेन्द्र_दामोदर_दास_मोदी!!
मेरे विचार से अब यह केवल एक नाम नही है…यह केवल चार वाक्यों से बनी किसी व्यक्ति की पहचान नही रह गयी है…!!
यह चार शब्दों का वह नारा बन चुका है…जो आज देश और विदेश मे पल रहे देश और धर्म के विरोधी गिद्धों,मगरमच्छों,अजगरो और बाकी जहरीले जंतुओं को पिछले सात साल से छटपटाने,तड़पने,बिलबिलाने और किलसने पर मजबूर कर दिया है…ये वही है जिसने तुष्टीकरण की आड मे हमारे कुचले और रौंदे गये आत्म सम्मान को पुन: जीवित कर दिया….ये वही है जिसने हमारी लगभग सो चुकी राष्ट्रवाद की चिंगारी को ज्वाला मे बदल कर रख दिया…ये वही है जिसने हमारी लगभग विलुप्त हो चुकी प्रतिरोधक शक्ति को जीवंत कर दिया….ये वही है जिसने हमे राष्ट्रवाद की दहाड और गुलामी के मौन के बीच का अंतर बताया………ये वही है जिसने सेक्युलरता और राष्ट्रवाद मे क्या अंतर है उसको बताया…!!

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आजकल सत्ता के लिये बिलबिलाती कांग्रेस की लीडरशिप मे पागल हो चुके विपक्ष और सेकुलर,लिबरल,बड़ी बिंदी गैंग,हिंसक अर्बन नक्सली,वामपंथी आदमखोर और दुनिया की सर्वाधिक घटिया मीडिया के गठजोड़ के मायाजाल मे भ्रमित होकर जरूर कुछ लोग मोदी सरकार का विरोध करने की भेड परम्परा मे व्यस्त हैं…..अच्छी बात है,करना भी चाहिये…!!

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..लेकिन मानिये कि ये विरोध करना भी मोदी विरोधियों को छोड़ कर,कुछ लोंगों ने बस अभी अभी सीखा है…क्योंकि २०१४ के पहले वाली पूर्ववर्ती सरकार में हमे या उन्हे तो पता भी नही लगता था कि देश मे हो क्या रहा है…और ना कभी हमने जरूरत ही समझी..सोचिये हम या वो कितने जिम्मेदार थे…..!!

..विरोध के संगठित स्वर कैसे होतें है..ये भी नही पता था…..जरा याद करिये कि रोबोट सिंह वाली कांग्रेस की सरकार में आये दिन घोटाले,आतंकी घटनायें और राष्ट्रविरोध के कथानक मंचित होते थे,
…और आज मोदी के सात साल के कार्यकाल में चंद आतंकी घटनाओं को छोडकर…केवल आतंकी नेटवर्क,उनकी गिरफ्तारी और कुटिल साजिशों के भंडाफोड की खबरें ही आती है…….घोटाले क्या होते है ये देशवासी भूल चुकें है…विश्वास करिये कि तैयारी ऐसी हो रही है कि एक ही वार में सब गंदगी साफ हो जाये……क्योंकि हमारे पास अब गलती करने का अवसर नही है, हमारी एक छोटी सी भूल से भी हमको भारी क्षति पहुंच सकती है,क्योंकि आस्तीन के सांपो से भरे हमारे देश की आंतरिक स्थिति किसी से छिपी नही है……..पता है आपको कि प्रमुख समस्या क्या है,यही कि हम राष्ट्रवादी बहुत ही भावुक ही नही वरन् काहिल भी हैं…अपने तुच्छ योगदान से अधिक अपेक्षा रखने के कारण हम यानी भावुक सूतियों का मनोबल तब बढ़ जाता है जब हमारी सरकार होती है….नही तो हम भीगी बिल्ली बन कर केवल म्यांयू म्यांयू करने अपने को समझदार समझ कर अपनी बौद्धिक कुंठा शांत करते हैं….!!

अगर कोई खबर मिलती है तो उसके पीछे की सच्चाई को जाने बिना तेल पानी लेकर चढ बैठतें है सरकार पर..बिना यह जाने कि उसके पीछे कारण क्या है क्यों सरकार ने ऐसा कदम उठाया????

…. जानता हूं कि आप देश के प्रति चिन्तातुर है,आप सरकार का विरोध करिये किन्तु किसी खबर की सच्चाई को जानने के बाद ही!!!!!!
कि क्या कारण हो सकता है इसके पीछे???
देश के दुश्मन भी तो यही चाहते है जो हम प्रतिक्रिया स्वरूप करने लगते है,
आजकल कुछ मित्रगण बहस करने में लगे हैं कि मोदी सरकार के सात वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियाँ क्या हैं??
..इस पर बहुत से मित्र आंकडो मे बतायेंगे,किन्तु मै सीधे शब्दों मे बताना चाहूंगा……जैसा कि हम आदतन सतही बातों में उलझ बैठते हैं,लेकिन वास्तविक तथ्यों पर कम लोगों ने ही ध्यान दिया है..!!

आप को जानना और दूसरों को बताना चाहिये कि,
इन सात वर्षों में हमारे देश में 65 सालों से स्थापित,आत्ममुग्ध दासप्रथाग्रस्त रूढिवादी परम्परायें शनै: शनै: समाप्त होती रही हैं…………….चापलूसी और चाटुकारिता कर योजनाओं को बंदरबाँट करने वाले कमीशनखोरों की कुटिल नीतियों की चूलें हिल चुकी हैं..सरकार के प्रति विश्वास,और आत्मसम्मान तथा आत्मनिर्भरता की रोशनी अपनी आभा बिखेर रही है,
सरकारी योजनाओं के लिये किसानो की कर्जमाफी योजना,किसानो को सूदखोरों की गुलामी से मुक्त कर नकली साम्यवाद और धमकाने वाले टोंटी के समाजवाद की पोल रोज खुलती जा रही है………जो अर्बन नक्सली,सेकुलर,लिबरल आत्ममुग्ध बौद्धिक अभिमान के नशे में मदमस्त रहते थे,उन घमंडी फर्जी बुद्धिजीवियों के चेहरे बेनक़ाब होते जा रहे हैं……….विदेशनीति और देश की सुरक्षानीति मे दलाली समाप्त हो चुकी है,और मूर्खता के नशे मे फैलाया गया झूठ कि हम शान्तिप्रिय और अहिंसावादी देश हैं,इसलिये हम रक्षा उपकरण देश में न बना कर दूसरो से ख़रीदेंगे वाली दलाली की सोच समाप्त होकर हम रक्षा मामलो मे आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं…अंधी और झूठी सेक्युलरता का कथित आभामंडल डांवाडोल हो गया है…सत्ता को बपौती समझने वाले लुटियन वर्ग की संकर नस्लों का वर्चस्व समाप्त होता जा रहा है…अभिजात्य समझ कर खुद को आम जनमानस से अलग मानने वाले विशेष वर्ग का अहं रोज चोटिल हो रहा है….पत्रकारिता के दम पर अकूत सम्पत्ति का साम्राज्य खड़ा करने वाले दल्लों की दुकाने बंद होती जा रही हैं…बड़के साहबों के रूप मे देश की सरकार के समानांतर सत्ता चलाने वालों के कोलोजियम रूप रेनकोट मे भी छेद किया जा रहा है….हजारो NGO को बैन करके उसके बहाने धर्मांतरण कराने वाले मसीही समाज की नाक मे नकेल पहनाई जा रही है…मदरसों और उसको मिलने वाले अनुदान के आंकड़ों के आधार पर किये जा रहे सर्वे और उनके मिलने वाले परिणामो के आधार पर घर मे छेद करने वाली मुफ्त खोर प्रजाति को उसकी असल औकात बताई जा रही है……..बस यही सब वो कारण हैं जो इन सबके संगठित होकर मोदी के विरोध करने का…इनके तडपने,छटपटाने,बिलबिलाने और कलपने का…..!!

अब जरा एक बात और बतायें कि क्या सात साल पहले कोई सोच सकता था कि देश मे ही तीन तलाक़,हलाला और इस्लाम के किसी मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बहस हो सकती थी…??

या कभी कोई भगवाधारी देश के ह्रदय प्रदेश का मुख्यमंत्री बन सकता है??

या गोरक्षा के मुद्दे पर चिढाने के लिये गोमांस भोज का आयोजन कर बहुसंख्यको को दुख पहुंचाने वाली,देश विरोधी ताक़तें मुंह छिपाने पर मजबूर होंगी और गली गली अपमानित होंगी ?

या विधर्मियों का आक्रामक,ब्लैकमेलिंग और तुष्टीकरण का भरा पूरा किला चरमरा कर ध्वस्त हो जाएगा???

या कि जातिपाति का खेल दिखाने वाले मदारियों की जकड इतनी कमजोर हो जायेगी कि अंतत: वे मजबूर हो कर बुझते दिये की तरह कुछ खोखले जाति संगठनो की ओट मे छिपने को मजबूर होगें??

यह बहुत बड़ा आधारभूत परिवर्तन है…मानिये कि वो सभी धारणायें बदल रही हैं जो देश के विकास मे बाधक थी,जिनको हमारी मानसिकता मे जबरन ठूंसा गया था…जानिये कि अब बहस के विवादक बिन्दु बदल रहे हैं…..अब नीतियां कुटिलता से वोटबैंक या तुष्टीकरण के आधार पर नही वरन्…नीतिया देश के विकास एवं जनता की भावना के अनुरूप तय की जा रही हैं….भले ही मोदी विरोधी ताकते जनमानस को बरगला कर वापसी का ख्वाब देख रही हैं…भले ही वो आपदा को अवसर मे बदलने के लिये घटिया से भी घटिया स्तर पर उतर चुकी हैं….भले ही वो कुर्सी पाने के लिये कितने भी झूठ फैला लें…..लेकिन एक सच्चाई को बिल्कुल झुठला नही सकती कि मोदी के आने के बाद से ही उनकी इतनी दुर्दशा हुई है…मोदी के आने के बाद ही इनकी दशकों से चल रही लूटखसोट री दुकान बंद हुई है….मोदी के आने के बाद ही जनता उनका घिनौना चेहरा देख पाई है…और इसीलिये वो सब मिल कर मोदी की खिलाफत कर रहे हैं…बाकी मोदी विरोध का कोई तार्किक मुद्दा नही है…!!

बहरहाल मै जानता हूं कि मोदी युग मे हो रहे इस इस बदलाव की नींव अभी मजबूत नहीं है,किन्तु और कुछ वर्षो तक राष्ट्रवाद की आँधी ऐसी ही चली तो, निश्चित है कि यही बुनियाद आने वाले समय मे सनातन राष्ट्रवाद की उस मजबूत इमारत मे बदल जायेगी…..जिसे तोड़ना तो दूर की बात है….उसे हिलाने की औकात किसी देश,किसी मजहब या किसी भी विचारधारा मे नही होगी….!!

ये बहुत बड़े सामाजिक और राजनीतिक और सबसे बड़ी बात मानसिक बदलाव के स्पष्ट संकेत हैं… ……जिनकी अब अनदेखी करना या विरोध करना….केवल पूर्वाग्रही,अंधे या वैचारिक विकलांगता के शिकार छटपटाते पीडित लोग ही कर सकते हैं!!!!
..निवेदन इतना ही है कि,धैर्यपूर्वक हो रहे इन परिवर्तनो के साक्षी बने,सहयोगी बने,न कि विरोधी!!!

फिलहाल मेरा यह लेख भले ही कुछ लोगों को मोदीफोबिया बढाने वाली अतिश्योक्ति से भरी हुई पोस्ट लग सकती हैं……..यदि इस लेख को अतिरंजित साबित करने का कोई तार्किक साक्ष्य उनके पास है तो खुले मन से स्वागत है……किन्तु विश्वास करिये कि यह वो सच्चाई है…जिसे पढ़ कर निश्चित ही देश और धर्म के विरोधियों से ज्यादा उनके दो कौडी के चमचों के तशरीफ मे जबरदस्त जलन होगी…..उनका दुख और दर्द बर्नॉल से भी दूर नही होगा…..क्योंकि मोदी तो अभी रहेंगे ही…तो अभी बहुत कुछ मुमकिन होना बाकी है….यकीन करिये बहुत कुछ…!!!

#जयहिन्द मित्रों
#वन्देमातरम्
#Ajit_Singh
साभार:अजीत सिंह-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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