मुस्लिम समाज और वामपंथी समाज जितना कट्टरपंथी कोई और समाज नहीं है
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India: Dayanand Pandey:
हमारे देश में वामपंथी समाज और मुस्लिम समाज दोनों ही एक बंद और जाहिल समाज हैं । इन से भला क्या कहना , क्या सुनना । यह लोग घूम-घुमा कर अपने एजेंडे में ही घुटते हुए सांस लेते हुए जीते , मरते हैं । वैचारिक छुआछूत इन की गंभीर समस्या है ।
मुस्लिम समाज और वामपंथी समाज जितना कट्टरपंथी कोई और समाज नहीं है । एक प्रतिशत भी फ्लैक्सबिलिटी नहीं मिलती । लचीलापन और उदारता से इन का पुराना बैर है । नदी का मीठा पानी नहीं , सागर का खारापन ही इन के हिस्से है । इन की सेलेक्टिव चुप्पी और सेलेक्टिव विरोध किसी सभ्य समाज के लिए कितना आत्मघाती है , यह लोग यह भी नहीं जानते ।
सोचिए कि पढ़े-लिखे जाहिल भी भारत माता की जय बोलना अपराध समझते हैं । भारत माता की जय बोलने वालों को अस्पृश्य समझते हैं । इन जाहिल और जंपट लोगों को वंदे मातरम ही नहीं जन गण मन गाने में भी अपराध दीखता है । यह फासिस्ट और बीमार लोग हैं । कृपया मुझे यह भी कहने दीजिए कि कोई दो प्रतिशत मुस्लिम और वामपंथी दोस्त खुली समझ के दीखते हैं । लेकिन बहुमत की भेड़ चाल में फंस कर मन मसोस कर रह जाते हैं । हाथ मलते हुए रह जाते हैं । इन की लाचारी भी साफ़ दिखती है । भारत माता की जय !
साभार: दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)