
पिता को कैद करने वाला, चार-चार भाइयों का कातिल, हजारों मंदिरों को तुड़वाने वाला,फिर महान कैसे
-दयानंद पांडेय की कलम से-

Positive India: Dayanand Pandey:
हम अपने पिता को क़ैद कर दाने-दाने को मोहताज़ कर दें। ताज और तख़्त के लिए चार भाइयों का क़त्ल कर दें। बहनों को बिना विवाह के बंदिश में रखें। कोई ग़लती से भी बहनों के संपर्क में आए उसे भी क़त्ल करवा दे। फिर भी हम महान हैं!!
क्यों कि हम ने हज़ारों मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद बना दिए। 49 बरस हम ने मुल्क़ की ईंट से ईंट बजा कर राज किया। इसके लिए हम महान हैं!!
कश्मीर से ले कर दक्कन तक हिंदुओं को तलवार के दम पर मुसलमान बनाया। नहीं बना तो क़त्लेआम किया। जजिया लिया। इसी लिए हम महान हैं!!
गुरु तेग बहादुर जैसे लोगों और उन की संतानों को ठिकाने लगाया। बड़ा सरदार बना फिरता था। इस के सरदार लोगों को लकड़ी की तरह आरी से कटवाया। हंडे में रख कर पानी भर कर , अंडे की तरह हम ने तुम्हें उबाल दिया। सिर कटवाया। दीवार में चुनवाया। फिर भी तुम्हारी यह हिम्मत कि मुझे महान न कहो!!
पढ़ो हमारे चाटुकार और दरबारी इतिहासकारों की लिखी किताबें। हमारी जय – जयकार करो ! भाईचारा निभाओ। गंगा जमनी तहज़ीब का डंका बजाओ ! नहीं टोपी की तरह तुम्हें भी बुन देंगे ! ख़बरदार जो मुझे क्रूर , लुटेरा और आक्रांता कहा। कहा तो हलक़ से ज़ुबान खींच लेंगे।
साभार: दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)